श्री शिव प्रसाद सेमवाल, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक टिहरी गढ़ |
समाज में अपनी छवि बरकरार रखने की होड़ और कक्षाओं में पोजिशन मेंटेन रखने के चक्कर में कई बार बच्चे तनावग्रस्त हो
जाते हैं। तनाव के कारण बच्चे न केवल शैक्षिक रूप से पिछड़ जाते हैं बल्कि कभी कभी दुखद परिणामभी सामने आते हैं। कुछ अभिभावक अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने
हेतु बच्चों पर इतना दबाव दे देते हैं कि जिससे उबरना कई बार मुश्किल हो
जाता है। जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) टिहरी गढ़वाल श्री शिव प्रसाद सेमवाल जी ने आज राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार में छात्र छात्राओं को परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए अनेक सुझाव दिए. उनके द्वारा दिए गए उपयोगी परामर्श के कुछ अंश यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ. आशा करता हूँ की परीक्षार्थियों और अभिभावकों के लिए यह सुझाव उपयोगी सावित होंगे.
परीक्षाओं के दौरान अपने परिवार व शिक्षकों से आपसी समन्वय स्थापित कर पढ़ाई करें। इससे तनाव से अवश्य मुक्ति मिलेगी। परीक्षा में अच्छे अंक न प्राप्त करने अथवा असफलता के भय से कई छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। अभिभावकों का कर्तव्य बनता है कि वे उन्हें समय का सदुपयोग करना सिखाएं। बच्चों के प्रति कठोरता नहीं अपितु सहानुभूति दर्शानी चाहिए। विद्यार्थियों को सकारात्मक प्रेरणा व उपयुक्त वातावरण देने पर ही वे अपनी प्रतिभा और क्षमता को उजागर कर सकते हैं।
परीक्षाओं के दौरान अपने परिवार व शिक्षकों से आपसी समन्वय स्थापित कर पढ़ाई करें। इससे तनाव से अवश्य मुक्ति मिलेगी। परीक्षा में अच्छे अंक न प्राप्त करने अथवा असफलता के भय से कई छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। अभिभावकों का कर्तव्य बनता है कि वे उन्हें समय का सदुपयोग करना सिखाएं। बच्चों के प्रति कठोरता नहीं अपितु सहानुभूति दर्शानी चाहिए। विद्यार्थियों को सकारात्मक प्रेरणा व उपयुक्त वातावरण देने पर ही वे अपनी प्रतिभा और क्षमता को उजागर कर सकते हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी एस पी सेमवाल छात्राओं को परामर्श देते हए |
कक्षा 12 की परिषदीय परीक्षार्थी छात्राएं |
1) इनसे बचें: तनावपूर्ण स्थिति को हमेशा के लिए नहीं रोका जा सकता। यह हमारे जीवन का एक हिस्सा है। “इससे बचने” का मतलब है की नकारात्मक विचार / स्थितियों या लोगों से कुछ समय के लिए थोड़ी दूरी बनाना।
छात्राओं को परीक्षा की टिप्स देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक |
3) विश्लेषण करें: अपने कमजोर और मजबूत हिस्से पर ध्यान दें। यदि आप अपनी कमजोरियों को जानते हैं तो उनपर काबू पाने की कोशिश करें। यदि उन पर काबू नहीं पा रहे हैं , तो अब उसपर काम करना शुरू करें।
4) स्वीकार करें: “तनाव” सबको होता है ये सामान्य और अनिवार्य है। कुछ खास वजह जैसे किसी विषय, लोग , स्थिति और बीमारी में तनाव होता है। आप इसे बदल नहीं सकते। लेकिन उस स्थिति को जिस तरह से वो है उसी रूप में स्वीकार करें और आगे बढ़ें।
परीक्षा क्षमता प्रदर्शन के लिए नहीं अपनी क्षमता पहचानने के लिए दें. |
सुशील डोभाल, प्रवक्ता अर्थशास्त्र |
6) नज़रिया: हर तनावपूर्ण स्थिति को सकारात्मक रूप से देखें और उसे एक अवसर समझें। खुद के लिए उचित मानक तय करें। धीरे-धीरे प्रगति करें। खुद को बधाई दें जब आप सफलतापूर्वक किसी भी तनावपूर्ण स्थिति को संभाल लें। यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ावा देने और आगे इस तरह की परिस्थितियों का सामना करने के लिए आपको मजबूती देगा। इस तरह आप अपनी पढ़ाई और आराम के बीच अपने समय को संतुलित करने में सक्षम हो पाएंगे। अपने जीवन को मज़े और खुशी के साथ पोषण दें।