उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में संचालित विभिन्न योजनाओं
को सफलतापूर्वक चलाने के उद्देश्य को लेकर शिक्षा विभाग निरंतर नई-नई
योजनाएं बनाता और लागू करता रहता है। विभाग
ने मिड-डे-मील को सुचारू व पारदर्शी बनाने हेतु एस.एम.एस. योजना लागू की थी, जिसके
तहत स्कूल के प्रधानाध्यापकों, प्रभारियों अथावा सम्बंधित शिक्षकों को रोजाना
मिड-डे-मील संबंधी विवरण संदेश विभाग के विशेष नंबर पर
भेजने थे, परन्तु कई स्कूलों से लापरवाही के चलते शिक्षा विभाग की
मिड-डे-मील एस.एम.एस. योजना का उद्देश्य पूरा नाह हो पा रहा है. राज्य में कई सरकारी
स्कूल विवरण संदेश न भेजने के चलते विभाग की डिफाल्टर लिस्ट
में आ गए हैं, जिन्हें विभाग ने कड़ी चेतावनी देते हुए योजना का पालन करने
के निर्देश दिए हैं। यही नहीं, भारत सरकार के मानव
संसाधन विकास मंत्रालय ने भी कड़ा संज्ञान लिया है, जिस कारण विभाग अब ऐसे स्कूलों पर कड़ी
कार्यवाही का मन बना चुका है.
मिड-डे-मील में गड़बड़ी रोकने को बनाई योजना
शिक्षा विभाग द्वारा मिड-डे-मील में गड़बड़ी रोकने हेतु उक्त एस.एम.एस. योजना बनाई गई है। इसके तहत प्रत्येक स्कूल से प्रधानाध्यापकों या फिर मिड-डे-मील इंचार्ज अथवा सहायक अध्यापक को रोजाना विभाग के विशेष नंबर पर एस.एम.एस. करके स्कूल में हाजिर विद्यार्थियों की वास्तविक संख्या, मिड-डे-मील में बनी सामग्री संबंधी जानकारी देनी थी। विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह योजना मिड-डे-मील में होने वाली गड़बड़ी पर नकेल कसने हेतु बनाई गई थी। पहले जहां विभाग द्वारा स्कूल में पढ़ते कुल बच्चों के हिसाब से मिड-डे-मील का खर्च दिया जाता था, वहीं रोजाना एस.एम.एस. पर स्कूल में हाजिर बच्चों की संख्या दर्ज होने कारण उसी हिसाब से विभाग स्कूल को मिड-डे-मील का फंड अदा करना था। गौर हो कि रोजाना स्कूल से कई विद्यार्थी अनुपस्थित रहते हैं परन्तु इसके बावजूद विभाग को तमाम विद्यार्थियों के लिए मिड-डे-मील फंड देना पड़ता था। सभी प्रधानाध्यापक एमडीएम का मीनू, कितने छात्र-छात्राओं के खाना बना आदि इस प्रकार की सारी जानकारी अपने मोबाइल द्वारा विभाग के टोल फ्री नंबर 55144 पर भेजने के लिए निर्देशित किया है। जानकारी नहीं देने वाले प्रधानाध्यापक का वेतन रोक उससे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर प्रधानाध्यापक का वेतन काट दिया जाएगा।
बार-बार निर्देशों के बावजूद अमल नहीं :
उक्त योजना के तहत शुरू से ही विभाग स्कूल के प्रधानाध्यापकों को जरूरी निर्देश देते आ रहा है परन्तु इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। अब एक बार फिर कुछ स्कूल विभाग की डिफाल्टर लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जिनके खिलाफ किसी भी वक्त सख्त कार्यवाहीं की जा सकती है.
मिड-डे-मील में गड़बड़ी रोकने को बनाई योजना
शिक्षा विभाग द्वारा मिड-डे-मील में गड़बड़ी रोकने हेतु उक्त एस.एम.एस. योजना बनाई गई है। इसके तहत प्रत्येक स्कूल से प्रधानाध्यापकों या फिर मिड-डे-मील इंचार्ज अथवा सहायक अध्यापक को रोजाना विभाग के विशेष नंबर पर एस.एम.एस. करके स्कूल में हाजिर विद्यार्थियों की वास्तविक संख्या, मिड-डे-मील में बनी सामग्री संबंधी जानकारी देनी थी। विभागीय अधिकारियों की मानें तो यह योजना मिड-डे-मील में होने वाली गड़बड़ी पर नकेल कसने हेतु बनाई गई थी। पहले जहां विभाग द्वारा स्कूल में पढ़ते कुल बच्चों के हिसाब से मिड-डे-मील का खर्च दिया जाता था, वहीं रोजाना एस.एम.एस. पर स्कूल में हाजिर बच्चों की संख्या दर्ज होने कारण उसी हिसाब से विभाग स्कूल को मिड-डे-मील का फंड अदा करना था। गौर हो कि रोजाना स्कूल से कई विद्यार्थी अनुपस्थित रहते हैं परन्तु इसके बावजूद विभाग को तमाम विद्यार्थियों के लिए मिड-डे-मील फंड देना पड़ता था। सभी प्रधानाध्यापक एमडीएम का मीनू, कितने छात्र-छात्राओं के खाना बना आदि इस प्रकार की सारी जानकारी अपने मोबाइल द्वारा विभाग के टोल फ्री नंबर 55144 पर भेजने के लिए निर्देशित किया है। जानकारी नहीं देने वाले प्रधानाध्यापक का वेतन रोक उससे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर प्रधानाध्यापक का वेतन काट दिया जाएगा।
बार-बार निर्देशों के बावजूद अमल नहीं :
उक्त योजना के तहत शुरू से ही विभाग स्कूल के प्रधानाध्यापकों को जरूरी निर्देश देते आ रहा है परन्तु इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। अब एक बार फिर कुछ स्कूल विभाग की डिफाल्टर लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जिनके खिलाफ किसी भी वक्त सख्त कार्यवाहीं की जा सकती है.