Tuesday, 11 August 2020

राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 पर राजकीय इंटर कॉलेज द्वारा कुछ सुझाव


    राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 पर राजकीय इंटर कॉलेज द्वारा कुछ सुझाव 

1-     राष्ट्रिय शिक्षा निति 2020 के बिंदु संख्या 4.11 को ‘यथा संभव’ के स्थान पर अनिवार्य किया जाय.
2-     राष्ट्रिय शिक्षा निति  2020 के बिंदु संख्या 4.32 के तहत निजी विद्यालयों के लिए NCERT की पुस्तके अनिवार्य की  जानी चाहिए.
3-     राष्ट्रिय शिक्षा निति 2020 के बिंदु संख्या 5.12 में आंशिक संशोधन करते हुए शिक्षकों को गैरशैक्षिक कार्यों से ‘पूर्णत मुक्त’ रखा जाना चाहिए.
4-     राष्ट्रिय शिक्षा निति 2020 के बिंदु संख्या 5.12 में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में शिक्षकों के नियोजन और भौतिक संसाधनों की उप्लाव्धता को चुनौतीपूर्ण  बताया गया है, इसके समाधान के प्रभावी प्रयास किये जाने चाहिए.
5-     कोचिंग संस्कृति और परीक्षा दबाव को ख़त्म किया जाय और बच्चों के मन में हतासा, अवसाद और तनाव ख़त्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाने चाहिए.
6-     कक्षा 9 से 12 तक अनिवार्यत सेमेस्टर व्यवस्था की जानी चाहिए.
7-     निजी विद्यालयों के शिक्षकों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाना चाहिए.
8-     सभी सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संसाधन उपलव्ध करवाए जाने चाहिए.
9-     निजी विद्यालयों की मनमानी पर प्रभावी रोक लगाई जानी चाहिए.
1-      विद्यालयों के अध्यापकों की पर्याप्त संख्या निर्धारित की जानी चाहिए.

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Monday, 10 August 2020

'शिक्षकों में पढने लिखने की संस्कृति' शीर्षक पर प्रतापनगर के शिक्षकों का ऑनलाइन सेमीनार हुआ आयोजित.


प्रतापनगर क्षेत्र के शिक्षकों और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता कीर्ति नगर के उप  शिक्षाअधिकारी डॉ सुरेंद्र सिंह नेगी और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के गढ़वाल प्रमुख जगमोहन कठैत ने "शिक्षकों में पढ़ने-लिखने की संस्कृति" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। ऑनलाइन सेमिनार में प्रतापनगर विकासखंड के 80 शिक्षकों ने भाग लिया।
          आज समाज में चारों ओर आधुनिक तकनीकी  से जुड़े हुए  उपकरणों को प्रयोग करने का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है और इससे जो वातावरण बनता जा रहा है उसने पढ़ने-लिखने की संस्कृति को बढ़ावा देने की बहुत आवश्यकता प्रतीत हो रही है। विद्यालय में भी जो बच्चें पढ़ने आते है अगर देखा जाए तो अधिकतर  के  घरों में पढ़ने-लिखने का माहौल नहीं होता है। घर मे केवल पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकों को ही पढ़ा जाता है और उनसे संबंधित काम को ही लिखा जाता है। लोगों में पढ़ना-लिखने का मुख्य उद्देश्य अधिकतर नौकरी पाने तक ही सीमित रहता है। इसलिए आज एक शिक्षक के ऊपर यह दायित्व भी आ जाता है कि वह बच्चे के अंदर पढ़ने-लिखने की क्षमता का विकास करें और इसे वह तभी कर पाएगा जब वह स्वयं अपने अंदर पढ़ने-लिखने की क्षमता और विशेषज्ञता को बना लेगा। इन समस्याओं को ध्यान में रखकर आयोजित सेमिनार की शुरुआत प्राथमिक शिक्षक संघ प्रतापनगर के मंत्री बिजेंद्र पवार ने अपने संबोधन से की।
       सेमिनार में डॉ सुरेंद्र सिंह नेगी ने पढ़ने-लिखने की संस्कृति को अपने अंदर, अपने विद्यालय में और अपने घर में कैसे बढ़ाएं उस पर प्रतिभागी शिक्षकों को महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि पाठ्यक्रम भी हमें कहानी और कविताएं लिखने के मौके देते हुए लिखने और पढ़ने की आजादी देता है। उन्होंने पढ़ना लिखना आवश्यक क्यों है इसको समझाते हुए कहा कि पढ़ना और लिखना एक दूसरे के पूरक हैं। पढ़ने-लिखने के अनेक फायदे होते हैं इनसे मनुष्य का दिमाग एक्टिव रहता है और तनाव से दूर रहता है। इसके साथ ही एक अच्छा वक्ता वही हो सकता है जिसका अच्छा शब्दकोश हो। शिक्षक समाज के अकादमिक पक्ष का दर्पण होता है इसलिए शिक्षक का पढ़ना-लिखना आवश्यक है ताकि वह समाज में एक निर्णायक की भूमिका भी निभा सके।
        डॉ.नेगी ने शिक्षकों को पढ़ने-लिखने की आदत विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए उन्होंने कहा कि पढ़ने की शुरुआत अपनी पसंद की चीजों से करें और पढ़ने का एक समय भी निश्चित करें, अपने पास हमेशा अपनी पसंद की किताब को रखें और जब भी समय मिले तो उसे अवश्य पढ़ें। इसके साथ ही  एक  लॉग बुक  भी बनाई जाए जिसमें  पढ़ी गई  किताब की  जानकारी हो। पहले अपने अंदर पढ़ने की क्षमता विकसित करें और फिर पढ़ने की विशेषज्ञता को भी अपने अंदर बनाएं जब पढ़ने की विशेषज्ञता बन जाएगी तब लिखने का कार्य शुरू करें। लिखने की शुरुआत छोटे-छोटे आर्टिकल, डायरी और संस्मरण से की जा सकती है। ऐसे ही लिखने से पहले उसके लिए भी एक खाका तैयार करें। अपनी बातचीत समाप्त करने से पहले डॉ नेगी ने कुछ ऑनलाइन किताबों के सूत्रों की भी जानकारी दी एवं उनकी विशेषताओं को भी बताया। जगमोहन कठैत ने अपने संबोधन में कहा कि प्रतापनगर विकास खंड में पढ़ने लिखने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विगत दो-तीन वर्षों से काफी काम किया जा रहा है प्रत्येक CRC में लाइब्रेरी बनाई गई है और प्रतियोगिताओं में बच्चों को पुरस्कार के रुप में किताबें देने का रिवाज  बनाया गया है जोकि एक बहुत अच्छी पहल है। शिक्षकों को हमेशा अपने मन में हमेशा या आकलन करना चाहिए कि क्या उनकी शैक्षिक प्रगति हुई है। शिक्षक पढ़े-लिखे लोग नहीं पढ़ते-लिखते लोग होते हैं।
         उप शिक्षाधिकारी प्रतापनगर विनोद मटुरा ने पढ़ने-लिखने की आवश्यकता को "बिल गेट्स" और  "सीता" के उदाहरण से स्पष्ट किया और कहा कि नई शिक्षा नीति को  धरातल  पर लागू करने के लिए  प्रत्येक शिक्षक को अपना  पूरा सहयोग  देना चाहिए और उसके लिए  प्रत्येक शिक्षक को "सीता" के जैसे ही चिंतनशील और कार्यकर्ता बनना पड़ेगा।सेमिनार के अंत में प्रेम प्रकाश जोशी ने पूरे सेमिनार का सार एक स्वरचित सुंदर कविता में सुनाया। सेमिनार का आयोजन एपीएफ टिहरी से प्रमोद पैन्यूली द्वारा किया गया।
         "हिमवंत" के लिए प्रतापनगर से मीनाक्षी सिलस्वाल के रिपोर्ट 

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