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हिमवंत
(राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार टिहरी गढ़वाल का वेबपेज, संपादक- सुशील डोभाल)
Wednesday, 23 March 2022
Monday, 14 December 2020
Tuesday, 11 August 2020
राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 पर राजकीय इंटर कॉलेज द्वारा कुछ सुझाव
राष्ट्रीय
शिक्षा निति 2020
पर राजकीय इंटर कॉलेज द्वारा कुछ सुझाव
1-
राष्ट्रिय शिक्षा निति 2020 के बिंदु संख्या 4.11 को ‘यथा संभव’ के स्थान पर अनिवार्य किया जाय.
2-
राष्ट्रिय शिक्षा निति 2020 के बिंदु संख्या 4.32 के तहत निजी विद्यालयों के लिए NCERT की पुस्तके अनिवार्य की जानी चाहिए.
3-
राष्ट्रिय शिक्षा निति 2020 के बिंदु संख्या 5.12 में आंशिक संशोधन करते हुए शिक्षकों को गैरशैक्षिक
कार्यों से ‘पूर्णत मुक्त’ रखा जाना चाहिए.
4-
राष्ट्रिय शिक्षा निति 2020 के बिंदु संख्या 5.12 में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों में शिक्षकों
के नियोजन और भौतिक संसाधनों की उप्लाव्धता को चुनौतीपूर्ण बताया गया है, इसके समाधान के प्रभावी प्रयास
किये जाने चाहिए.
5-
कोचिंग संस्कृति और परीक्षा दबाव को ख़त्म किया
जाय और बच्चों के मन में हतासा, अवसाद और तनाव ख़त्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाये
जाने चाहिए.
6-
कक्षा 9 से 12 तक अनिवार्यत सेमेस्टर व्यवस्था की जानी
चाहिए.
7-
निजी विद्यालयों के शिक्षकों के लिए न्यूनतम
वेतन निर्धारित किया जाना चाहिए.
8-
सभी सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संसाधन
उपलव्ध करवाए जाने चाहिए.
9-
निजी विद्यालयों की मनमानी पर प्रभावी रोक लगाई
जानी चाहिए.
1-
विद्यालयों के अध्यापकों की पर्याप्त संख्या निर्धारित
की जानी चाहिए.
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Monday, 10 August 2020
'शिक्षकों में पढने लिखने की संस्कृति' शीर्षक पर प्रतापनगर के शिक्षकों का ऑनलाइन सेमीनार हुआ आयोजित.
प्रतापनगर क्षेत्र के शिक्षकों और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता कीर्ति नगर के उप शिक्षाअधिकारी डॉ सुरेंद्र सिंह नेगी और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के गढ़वाल प्रमुख जगमोहन कठैत ने "शिक्षकों में पढ़ने-लिखने की संस्कृति" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। ऑनलाइन सेमिनार में प्रतापनगर विकासखंड के 80 शिक्षकों ने भाग लिया।
आज समाज में चारों ओर आधुनिक तकनीकी से जुड़े हुए उपकरणों को प्रयोग करने का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है और इससे जो वातावरण बनता जा रहा है उसने पढ़ने-लिखने की संस्कृति को बढ़ावा देने की बहुत आवश्यकता प्रतीत हो रही है। विद्यालय में भी जो बच्चें पढ़ने आते है अगर देखा जाए तो अधिकतर के घरों में पढ़ने-लिखने का माहौल नहीं होता है। घर मे केवल पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकों को ही पढ़ा जाता है और उनसे संबंधित काम को ही लिखा जाता है। लोगों में पढ़ना-लिखने का मुख्य उद्देश्य अधिकतर नौकरी पाने तक ही सीमित रहता है। इसलिए आज एक शिक्षक के ऊपर यह दायित्व भी आ जाता है कि वह बच्चे के अंदर पढ़ने-लिखने की क्षमता का विकास करें और इसे वह तभी कर पाएगा जब वह स्वयं अपने अंदर पढ़ने-लिखने की क्षमता और विशेषज्ञता को बना लेगा। इन समस्याओं को ध्यान में रखकर आयोजित सेमिनार की शुरुआत प्राथमिक शिक्षक संघ प्रतापनगर के मंत्री बिजेंद्र पवार ने अपने संबोधन से की।
सेमिनार में डॉ सुरेंद्र सिंह नेगी ने पढ़ने-लिखने की संस्कृति को अपने अंदर, अपने विद्यालय में और अपने घर में कैसे बढ़ाएं उस पर प्रतिभागी शिक्षकों को महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि पाठ्यक्रम भी हमें कहानी और कविताएं लिखने के मौके देते हुए लिखने और पढ़ने की आजादी देता है। उन्होंने पढ़ना लिखना आवश्यक क्यों है इसको समझाते हुए कहा कि पढ़ना और लिखना एक दूसरे के पूरक हैं। पढ़ने-लिखने के अनेक फायदे होते हैं इनसे मनुष्य का दिमाग एक्टिव रहता है और तनाव से दूर रहता है। इसके साथ ही एक अच्छा वक्ता वही हो सकता है जिसका अच्छा शब्दकोश हो। शिक्षक समाज के अकादमिक पक्ष का दर्पण होता है इसलिए शिक्षक का पढ़ना-लिखना आवश्यक है ताकि वह समाज में एक निर्णायक की भूमिका भी निभा सके।
डॉ.नेगी ने शिक्षकों को पढ़ने-लिखने की आदत विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए उन्होंने कहा कि पढ़ने की शुरुआत अपनी पसंद की चीजों से करें और पढ़ने का एक समय भी निश्चित करें, अपने पास हमेशा अपनी पसंद की किताब को रखें और जब भी समय मिले तो उसे अवश्य पढ़ें। इसके साथ ही एक लॉग बुक भी बनाई जाए जिसमें पढ़ी गई किताब की जानकारी हो। पहले अपने अंदर पढ़ने की क्षमता विकसित करें और फिर पढ़ने की विशेषज्ञता को भी अपने अंदर बनाएं जब पढ़ने की विशेषज्ञता बन जाएगी तब लिखने का कार्य शुरू करें। लिखने की शुरुआत छोटे-छोटे आर्टिकल, डायरी और संस्मरण से की जा सकती है। ऐसे ही लिखने से पहले उसके लिए भी एक खाका तैयार करें। अपनी बातचीत समाप्त करने से पहले डॉ नेगी ने कुछ ऑनलाइन किताबों के सूत्रों की भी जानकारी दी एवं उनकी विशेषताओं को भी बताया। जगमोहन कठैत ने अपने संबोधन में कहा कि प्रतापनगर विकास खंड में पढ़ने लिखने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विगत दो-तीन वर्षों से काफी काम किया जा रहा है प्रत्येक CRC में लाइब्रेरी बनाई गई है और प्रतियोगिताओं में बच्चों को पुरस्कार के रुप में किताबें देने का रिवाज बनाया गया है जोकि एक बहुत अच्छी पहल है। शिक्षकों को हमेशा अपने मन में हमेशा या आकलन करना चाहिए कि क्या उनकी शैक्षिक प्रगति हुई है। शिक्षक पढ़े-लिखे लोग नहीं पढ़ते-लिखते लोग होते हैं।
उप शिक्षाधिकारी प्रतापनगर विनोद मटुरा ने पढ़ने-लिखने की आवश्यकता को "बिल गेट्स" और "सीता" के उदाहरण से स्पष्ट किया और कहा कि नई शिक्षा नीति को धरातल पर लागू करने के लिए प्रत्येक शिक्षक को अपना पूरा सहयोग देना चाहिए और उसके लिए प्रत्येक शिक्षक को "सीता" के जैसे ही चिंतनशील और कार्यकर्ता बनना पड़ेगा।सेमिनार के अंत में प्रेम प्रकाश जोशी ने पूरे सेमिनार का सार एक स्वरचित सुंदर कविता में सुनाया। सेमिनार का आयोजन एपीएफ टिहरी से प्रमोद पैन्यूली द्वारा किया गया।
"हिमवंत" के लिए प्रतापनगर से मीनाक्षी सिलस्वाल के रिपोर्ट
Wednesday, 4 March 2020
CTET के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 9 मार्च तक बढ़ी, 13 मार्च तक जमा कर सकेंगे ऑनलाइन शुल्क
केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET)
के लिए आवेदन की अंतिम डेट एक बार फिर आगे बढ़ा दी गई है. इच्छुक
उम्मीदवार 9 मार्च की रात 12 बजे तक आवेदन कर सकते हैं. इस परीक्षा में
हिस्सा लेने के लिए आवेदक फीस भुगतान 13 मार्च तक कर सकते हैं. CBSE
ने CTET आवेदन की अंतिम तारीख फिर से आगे बढ़ाया है, इससे पहले भी सीबीएसई
ने सीटेट आवेदन की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 2 मार्च किया था जबकि फीस भरने की
अंतिम तारीख 5 मार्च 2020 थी. अब ये बढ़ाकर नौ मार्च कर दी गई है.
सीटेट
के लिए (CTET Online Form Last Date 2020) आवेदन अब 9 मार्च 2020 रात 12
बजे तक कर सकते हैं. आवेदक 13 मार्च की दोपहर 3.30 बजे तक ऑनलाइन फीस का
भुगतान कर सकते हैं. फीस भुगतान का फाइनल वेरिफिकेशन 16 मार्च दोपहर 3.30
बजे तक किया जा सकता है. अगर आवेदकों को अपने फॉर्म में कोई सुधार करना है
तो ये करेक्शन 24 मार्च तक किया जा सकता है. सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि
24 मार्च की तय तिथि के बाद किसी भी तरह का करेक्शन नहीं किया जा सकेगा.
यह भी पढ़ें: CTET 2019: ऐसी रही पेपर 1 की परीक्षा, पढ़ें एनालिसिस
बता
दें कि अगर फीस जमा करने के बाद भी कनफर्मेशन पेज नहीं खुल रहा है तो
आवेदक Deputy Secretary (CTET), CBSE के पास 17 मार्च से 24मार्च तक
संपर्क कर सकते हैं. अभ्यर्थी सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संपर्क करें.
इसके लिए आवेदकों को अपने साथ भुगतान का सबूत जैसे ई-चालान आदि साथ ले जाना
होगा.
बता दें कि सीबीएसई सीटेट 2020 परीक्षा का आयोजन 5 जुलाई 2020
को पूरे देश में होगा. इस परीक्षा का आयोजन देश भर के 112 शहरों में किया
जाएगा. इस परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया 24 जनवरी 2020 से शुरू हुई
थी. इसकी अंतिम तिथि पहले दो मार्च थी जिसे बढ़ाकर अब नौ मार्च कर दिया
गया है. अभ्यर्थी यहां दिए गए लिंक से वो नोटिस पढ़ सकते हैं.
Friday, 6 December 2019
टिहरी के स्कूलों में "आनंदम पाठ्यचर्या" हुई आरम्भ। डायट टिहरी में प्रधानाध्यापक व प्रधानाचार्यों को दिया गया प्रशिक्षण।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में किए गए 'हैप्पीनेस करिकुलम' के सफल प्रयोग को उत्तराखंड के सभी विद्यालयों में भी लागू किया जा रहा है। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नई टिहरी में आनंदम पाठ्यचर्या संचालित करने के उद्देश्य से जनपद के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के संस्थाध्यक्षों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में डाइट के प्राचार्य श्री चेतन प्रसाद नौटियाल ने कहा है कि विद्यार्थियों के मन में तनाव, हिंसा, अवसाद, और भयमुक्त वातावरण तैयार करना आनंदम पाठ्यचर्या का मुख्य उद्देश्य है।
दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में चलाए जा रहे 'हैप्पीनेस' कार्यक्रम की सफलता को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के सभी जनपदों में "आनंदम पाठ्यचर्या" कार्यक्रम का शुभारंभ समस्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य और विभागीय अधिकारियों के प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नई टिहरी में आज विकासखंड जाखणीधार, चंबा और थौलधार के विद्यालयों के संस्थाध्यक्षों का दो दिवसीय प्रशिक्षण आरम्भ किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में तीन विकास खंडों के एक 192 प्रतिभागी प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर डाइट के प्राचार्य श्री चेतन प्रसाद नौटियाल ने आनंदम पाठ्यचर्या कार्यक्रम के उद्देश्यों से अवगत कराते हुए प्रतिभागियों को बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यालय बच्चों में तनाव, हिंसा, अवसाद, व उत्कंठा जैसी समस्याओं को दूर करते हुए उनके लिए विद्यालयों में अध्ययन के साथ-साथ प्रसन्नता और उल्लास का माहौल बनाए रखना है उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के तनाव और दबाव के बीच स्वाभाविक तौर पर बच्चे सीखने में पीछे रह जाते हैं और पढ़ाई को बोझ समझने लगते हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षक और छात्रों के संबंधों में जब तक समरसता और सहजता नहीं होगी तब तक शैक्षणिक वातावरण अनुकूल बन पाना संभव नहीं है क्योंकि तनावमुक्त वातावरण में बच्चे तेजी से सीखते हैं और उनका वास्तविक रूप से सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने विद्यालयों के भौतिक वातावरण को भी आनंदम पाठ्यचर्या कार्यक्रम के अनुरूप बनाए जाने पर जोर दिया।
डाइट प्राचार्य श्री नौटियाल ने कहा कि शिक्षक को अपने विषय में निपुण होना चाहिए जिससे वह विषय के प्रति बच्चों में जुनून पैदा कर सके। उन्होंने कहा कि पुराने समय में शिक्षक अनुशासन स्थापित करने के लिए सख्त रवैया व्यवहार में लाते थे किंतु आज तमाम अनुसंधानों से यह साबित हो गया है कि छात्र शिक्षक के बीच सहज और समरसता का माहौल शिक्षण कार्य को अधिक सरल और प्रभावी बना देता है।इस मौके पर प्राचार्य ने समस्त शिक्षकों से आनंदम कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डाइट के प्रवक्ता दीपक रतूड़ी ने 'आनंदम पाठ्यचर्या' कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया की दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सभी विद्यालयों में हैप्पीनेस कार्यक्रम लागू करने और इस कार्यक्रम के दिल्ली के विद्यालय में व्यापक सफलता के बाद उत्तराखंड से शिक्षा विभाग की राज्यस्तरीय टीम दिल्ली के विद्यालयों के भ्रमण पर गई थी और अब दिल्ली की शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम को उत्तराखंड राज्य के सभी जनपदों में अनिवार्य रूप से लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक से लेकर उच्च प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्यता 35 मिनट का पहला वादन आनंद पाठ्यचर्या के लिए निर्धारित किया जा रहा है जिसमें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के बीच प्रसन्नता और उल्लास का माहौल स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आनंदम वादन विद्यालय में संचालित करते हुए बच्चों में ध्यान और मनन की क्षमता बढ़ाने, शैक्षिक प्रदर्शन को बेहतर करने, शांति और खुशी का एहसास बढ़ाने, क्रोध और नकारात्मकता को कम करने, एक दूसरे को समझने और मन को स्थिर करने जैसी क्षमताओं का विकास किया जा सकता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डाइट के प्रवक्ता डॉ वीर सिंह रावत ने प्रतिभागियों को बताया कि आनंदम पाठ्यचर्या के अंतर्गत प्रार्थना समय सभा के तुरंत बाद 'प्रथम वादन-आनंदम वादन' निर्धारित किया जाएगा जिसमें संपूर्ण विद्यालय में एक ऐसा परिवेश तैयार किया जाएगा जिसमें छात्र और शिक्षक सहज व समरसता का व्यवहार करते हुए पूरा दिन प्रफुल्लित होकर उत्साह के साथ शिक्षण करेंगे। इस दौरान सभी प्रतिभागियों को अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय उत्तराखंड द्वारा प्रकाशित पुस्तक "आनंदनी" भी वितरित की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डायट के वरिष्ठ प्रवक्ता एके सिंह ने कहा कि आनंदम कार्यक्रम की सार्थकता को सुनिश्चित करने के लिए पाठ्यक्रम में इसे एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जा रहा है और बच्चों में व्यावहारिक रूप में खुशी प्रदर्शित करने के लिए मनन एवं ध्यान, कहानी, गतिविधि तथा अभिव्यक्ति जैसे आयामों को इसमें शामिल किया जा रहा है।
इस मौके पर डाइट के प्रवक्ता एसपी मालगुडी ने कहा कि बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के साथ ही कहानी आदि के माध्यम से रुचिकर बातें बताई जा सकती है और बच्चों के व्यवहार में न केवल वांछित परिवर्तन लाया जा सकता है बल्कि उनके मन को भटकाव से भी रोका जा सकता है। इस अवसर पर डाइट प्रवक्ता निर्मला सिंह द्वारा प्रतिभागियों को विभिन्न रोचक गतिविधियों के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ मनवीर सिंह नेगी, डॉ सुमन नेगी, अंजना सजवाण, विनोद पेटवाल, सुधीर नौटियाल, जितेंद्र सिंह राणा, सुषमा महर, विनीता सुयाल आदि ने भी विचार व्यक्त किये।
Thursday, 5 December 2019
इंटर कॉलेज गरखेत जौनपुर के बच्चों को महाराष्ट्र की संस्था 'राष्ट्र सेवा दल' ने दिया शारीरिक व बौद्धिक दक्षता का तीन दिवसीय प्रशिक्षण।
टिहरी गढ़वाल के विकाखण्ड जौनपुर के अंतर्गत राजकीय इंटर कालेज गरखेत में राष्ट्र सेवा दल नामक संस्था द्वारा तीन दिवसीय शारीरिक एवं बौद्धिक दक्षता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान संस्था के स्वयंसेवको द्वारा स्कूली बच्चों को शारीरिक व बौद्धिक दक्षता संवर्द्धन के लिए रोचक ढंग से प्रशिक्षण दिया। महाराष्ट्र से गरखेत पहुंचे संस्था के स्वयंसेवको ने बच्चों के साथ अपने अनेक अनुभव बांटे। इस दौरान प्रशिक्षण की गतिविधियों को लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखा गया।
तीन-दिवसीय शारीरिक व बौद्धिक प्रशिक्षण शिविर दिनांक 02 दिसंबर 2019 से दिनांक 04 दिसंबर 2019 तक राजकीय इंटर कॉलेज, गरखेत, जौनपुर, टिहरी गढ़वाल में आयोजित किया गया जिसमें *राष्ट्र सेवा दल* के महाराष्ट्र से आए हुए स्वयंसेवकों व इस संस्था से जुड़े स्थानीय प्रशिक्षक द्वारा विद्यालय के कक्षा 6, 7 व 8 के छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण दिया गया। इस शिविर में लेजिम के साथ ढोल - ताशा की थाप पर विभिन्न तरह के शारीरिक व्यायाम का अभ्यास एवं वेस्टर्न संगीत की धुन पर एरोबिक्स का अभ्यास करवाया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर कक्षा ६,७,व ८ के छात्र छात्राओं द्वारा मात्र तीन दिन के अल्प प्रशिक्षण के पश्चात उपरोक्त सीखे गए अभ्यास कार्यक्रमों की बेहद मनमोहक, आकर्षक एवं रोचक प्रस्तुति दी गई। इसी के साथ साथ एक नृत्य कार्यक्रम में बापू के आदर्शों को आज के सामाजिक परिदृश्य में प्रस्तुत किया गया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीय संगठक श्री सदाशिव मकदूम द्वारा किया गया। उन्होंने राष्ट्र की एकता की भावना को बढ़ावा देने पर बल देते हुए देशप्रेम के महत्व को बताया। कक्षा 8 की छात्रा कु संगीता और कक्षा 7 के छात्र मास्टर गौरव ने अतिथियों का सभी बच्चों की ओर से आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य श्री सुनील पंवार एवं पी टी ए अध्यक्ष श्री दिनेश रावत ने भी प्रशिक्षण कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की पूरी रिपोर्टिंग साधना न्यूज व खबर 7 चैनल के रिपोर्टर श्री वीरेन्द्र वर्मा द्वारा की गई।
रिपोर्ट:- रयाल शशि, प्रवक्ता जीव विज्ञान जीआईसी गरखेत, जौनपुर, टिहरी गढ़वाल।
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