दिल्ली के सरकारी स्कूलों में किए गए 'हैप्पीनेस करिकुलम' के सफल प्रयोग को उत्तराखंड के सभी विद्यालयों में भी लागू किया जा रहा है। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नई टिहरी में आनंदम पाठ्यचर्या संचालित करने के उद्देश्य से जनपद के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के संस्थाध्यक्षों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में डाइट के प्राचार्य श्री चेतन प्रसाद नौटियाल ने कहा है कि विद्यार्थियों के मन में तनाव, हिंसा, अवसाद, और भयमुक्त वातावरण तैयार करना आनंदम पाठ्यचर्या का मुख्य उद्देश्य है।
दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में चलाए जा रहे 'हैप्पीनेस' कार्यक्रम की सफलता को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के सभी जनपदों में "आनंदम पाठ्यचर्या" कार्यक्रम का शुभारंभ समस्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य और विभागीय अधिकारियों के प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नई टिहरी में आज विकासखंड जाखणीधार, चंबा और थौलधार के विद्यालयों के संस्थाध्यक्षों का दो दिवसीय प्रशिक्षण आरम्भ किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में तीन विकास खंडों के एक 192 प्रतिभागी प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर डाइट के प्राचार्य श्री चेतन प्रसाद नौटियाल ने आनंदम पाठ्यचर्या कार्यक्रम के उद्देश्यों से अवगत कराते हुए प्रतिभागियों को बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यालय बच्चों में तनाव, हिंसा, अवसाद, व उत्कंठा जैसी समस्याओं को दूर करते हुए उनके लिए विद्यालयों में अध्ययन के साथ-साथ प्रसन्नता और उल्लास का माहौल बनाए रखना है उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के तनाव और दबाव के बीच स्वाभाविक तौर पर बच्चे सीखने में पीछे रह जाते हैं और पढ़ाई को बोझ समझने लगते हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षक और छात्रों के संबंधों में जब तक समरसता और सहजता नहीं होगी तब तक शैक्षणिक वातावरण अनुकूल बन पाना संभव नहीं है क्योंकि तनावमुक्त वातावरण में बच्चे तेजी से सीखते हैं और उनका वास्तविक रूप से सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने विद्यालयों के भौतिक वातावरण को भी आनंदम पाठ्यचर्या कार्यक्रम के अनुरूप बनाए जाने पर जोर दिया।
डाइट प्राचार्य श्री नौटियाल ने कहा कि शिक्षक को अपने विषय में निपुण होना चाहिए जिससे वह विषय के प्रति बच्चों में जुनून पैदा कर सके। उन्होंने कहा कि पुराने समय में शिक्षक अनुशासन स्थापित करने के लिए सख्त रवैया व्यवहार में लाते थे किंतु आज तमाम अनुसंधानों से यह साबित हो गया है कि छात्र शिक्षक के बीच सहज और समरसता का माहौल शिक्षण कार्य को अधिक सरल और प्रभावी बना देता है।इस मौके पर प्राचार्य ने समस्त शिक्षकों से आनंदम कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डाइट के प्रवक्ता दीपक रतूड़ी ने 'आनंदम पाठ्यचर्या' कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया की दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सभी विद्यालयों में हैप्पीनेस कार्यक्रम लागू करने और इस कार्यक्रम के दिल्ली के विद्यालय में व्यापक सफलता के बाद उत्तराखंड से शिक्षा विभाग की राज्यस्तरीय टीम दिल्ली के विद्यालयों के भ्रमण पर गई थी और अब दिल्ली की शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम को उत्तराखंड राज्य के सभी जनपदों में अनिवार्य रूप से लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक से लेकर उच्च प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्यता 35 मिनट का पहला वादन आनंद पाठ्यचर्या के लिए निर्धारित किया जा रहा है जिसमें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के बीच प्रसन्नता और उल्लास का माहौल स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आनंदम वादन विद्यालय में संचालित करते हुए बच्चों में ध्यान और मनन की क्षमता बढ़ाने, शैक्षिक प्रदर्शन को बेहतर करने, शांति और खुशी का एहसास बढ़ाने, क्रोध और नकारात्मकता को कम करने, एक दूसरे को समझने और मन को स्थिर करने जैसी क्षमताओं का विकास किया जा सकता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डाइट के प्रवक्ता डॉ वीर सिंह रावत ने प्रतिभागियों को बताया कि आनंदम पाठ्यचर्या के अंतर्गत प्रार्थना समय सभा के तुरंत बाद 'प्रथम वादन-आनंदम वादन' निर्धारित किया जाएगा जिसमें संपूर्ण विद्यालय में एक ऐसा परिवेश तैयार किया जाएगा जिसमें छात्र और शिक्षक सहज व समरसता का व्यवहार करते हुए पूरा दिन प्रफुल्लित होकर उत्साह के साथ शिक्षण करेंगे। इस दौरान सभी प्रतिभागियों को अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय उत्तराखंड द्वारा प्रकाशित पुस्तक "आनंदनी" भी वितरित की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डायट के वरिष्ठ प्रवक्ता एके सिंह ने कहा कि आनंदम कार्यक्रम की सार्थकता को सुनिश्चित करने के लिए पाठ्यक्रम में इसे एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जा रहा है और बच्चों में व्यावहारिक रूप में खुशी प्रदर्शित करने के लिए मनन एवं ध्यान, कहानी, गतिविधि तथा अभिव्यक्ति जैसे आयामों को इसमें शामिल किया जा रहा है।
इस मौके पर डाइट के प्रवक्ता एसपी मालगुडी ने कहा कि बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के साथ ही कहानी आदि के माध्यम से रुचिकर बातें बताई जा सकती है और बच्चों के व्यवहार में न केवल वांछित परिवर्तन लाया जा सकता है बल्कि उनके मन को भटकाव से भी रोका जा सकता है। इस अवसर पर डाइट प्रवक्ता निर्मला सिंह द्वारा प्रतिभागियों को विभिन्न रोचक गतिविधियों के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ मनवीर सिंह नेगी, डॉ सुमन नेगी, अंजना सजवाण, विनोद पेटवाल, सुधीर नौटियाल, जितेंद्र सिंह राणा, सुषमा महर, विनीता सुयाल आदि ने भी विचार व्यक्त किये।