Sunday 20 January 2019

शाला सिद्धि, सुधार हेतु मूल्यांकन के लिए पूर्व तैयारी एवं उपयोगी सुझाव।

डी.सी.गौड़, मुख्य शिक्षा अधिकारी
टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड। 
  'शाला सिद्धि कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद टिहरी गढ़वाल से शतप्रतिशत विद्यालयों द्वारा सुधार हेतु स्वमूल्यांकन करने एवं स्व-मूल्यांकित विवरण को शाला सिद्धि पोर्टल पर समयान्तर्गत अपलोड करने पर समस्त विद्यालयों को बहुत-बहुत बधाइयाँ। इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्व-मूल्यांकन के बाद अब बाह्य मूल्यांकन भी किया जाना है. बाह्य मूल्यांकन के लिए यथाशीध्र केंद्र, राज्य एवं जनपद स्तर पर मूल्यांकनकर्ताओं की टीमें विद्यालयों में मूल्यांकन हेतु पहुंचेंगी। राष्ट्रीय महत्त्व के इस कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए यहाँ आपके लिए कुछ उपयोगी सुझाव दिए जा रहे हैं. इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए  बाह्य-मूल्यांकन के लिए विद्यालय स्तर पर तयारी पूरे कर लें.''  
राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा देहरादून, उत्तराखंड  के सभागार में आयोजित कार्यशाला। 
सुशील डोभाल, प्रवक्ता अर्थशास्त्र 
राइका जाखणीधार टिहरी गढ़वाल 

        शाला सिद्धि कार्यक्रम में सुधार हेतु स्व मूल्यांकन एवं बाह्य मूल्यांकन को लेकर दिनांक 18 व 19 जनवरी को राज्य परियोजना कार्यालय में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में राज्य के समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारियों व राज्य परियोजना कार्यालय के अधिकारियों के साथ प्रतिभाग का अवसर प्राप्त हुआ। कार्यशाला में प्रो. प्रणति पांडा, अध्यक्ष स्कूल मानक एवं मूल्यांकन इकाई न्यूपा नई दिल्ली द्वारा अनेक उपयोगी जानकारियां दी गयी। मुख्य शिक्षा अधिकारी टिहरी गढ़वाल आदरणीय श्री डी.सी. गौड़ जी द्वारा इस कार्यशाला के आधार पर जनपद के समस्त विद्यालयों के लिए कुछ उपयोगी सुझाव अपने विद्यालय के वेबपेज 'हिमवंत' के माध्यम से आप तक पहुंचाने के मुझे निर्देश दिए गए हैं।कार्यक्रम को अधिक सार्थक बनाने के उद्देश्य से कुछ सुझाव यहां दिए जा रहे हैं। आशा है यह सुझाव आपकी शाला के सुधार के लिए औऱ इस कार्यक्रम की सफलता के लिए उपयोगी सावित होंगे।
सुझाव 
  • समस्त शासकीय, अशासकीय एवं निजी प्राथमिक, उच्चप्राथमिक, माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के संस्थाध्यक्षों को अवगत करवाना है कि शाला शिद्धि कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालयों के स्वमूल्यांकन के साथ साथ इस सत्र से बाह्य मूल्यांकन भी किया जाना है। विद्यालयों के बाह्य मूल्यांकन के लिए यथाशीध्र केंद्र, राज्य एवं जनपद स्तर पर मूल्यांकनकर्ताओं की टीमें विद्यालयों में मूल्यांकन हेतु पहुंचेंगी। इसलिए स्वमूल्यांकन के साथ ही बाह्य मूल्यांकन के लिए पूर्व तैयारी रखनी होगी।  
कार्यशाला में प्रो प्रणति पांडा से कार्यक्रम की जानकारी प्राप्त करते हुए राज्य के शिक्षा अधिकारी।
  • समस्त विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य एवं शाला सिद्धि प्रभारी इस बात का विशेष ध्यान रखें की शाला सिद्धि स्व मूल्यांकन समयान्तर्गत संपन्न कर लिया जाए एवं स्व मूल्यांकन के पश्चात शाला सिद्धि पोर्टल पर सूचनाओं को अपलोड कर लिया जाए। 
  • प्रायः यह दिखा जाता है कि अधिकतर संस्थाएं शाला सिद्धि पोर्टल के लिए यूजर आईडी और पासवर्ड का रखरखाव सही ढंग से व्यवस्थित नहीं रहते हैं जिस कारण शाला सिद्धि पोर्टल पर लॉगिन संबंधी समस्याओं की शिकायतें सामने आती रहती है। समस्त संस्थाध्यक्ष सुनिश्चित कर ले की विद्यालय में तैयार की गई शाला सिद्धि पत्रावली पर शाला सिद्धि संबंधी यूजर आईडी, पासवर्ड और पिन को स्थाई रूप से अंकित कर लिया जाए, साथ ही पोर्टल पर पंजीकृत मोबाइल नंबर को भी इस पंजिका पर अवश्य अंकित कर लिया जाए। 
  • शाला सिद्धि पोर्टल के लिए संस्थाध्यक्ष द्वारा नियुक्त किए गए शिक्षक कर्मचारी का स्थानांतरण होने या मुख्यालय से बाहर रहने के कारण शाला सिद्धि पोर्टल पर सूचनाओं की प्रविष्टि करने में समस्याएं आना स्वाभाविक है। इन समस्याओं से निपटने के लिए संस्थाध्यक्ष यह सुनिश्चित कर लें पोर्टल पर डाटा एंट्री का कार्य एक ही व्यक्ति पर केंद्रित न रहे। 
  • आकस्मिक निरीक्षणों में यह बात सामने आती है की संस्थाओं द्वारा शाला सिद्धि पोर्टल पर स्व मूल्यांकन संबंधी सूचनाएं अपलोड तो कर दी जाती है किंतु इससे संबंधित पत्रावली विद्यालयों में सुव्यवस्थित नहीं मिलती है। समस्त संस्थाध्यक्ष यह सुनिश्चित करलें की शाला सिद्धि पोर्टल पर अपलोड की गई सूचनाएं विद्यालय में तैयार की गई शाला सिद्धि पत्रावली पर हार्ड कॉपी व्यवस्थित हैं अथवा नहीं। विद्यालय में शाला सिद्धि संबंधी पत्रावली पर स्व मूल्यांकन प्रपत्र हर समय उपलव्ध रहें तथा इस कार्य में किसी भी प्रकार की उदासीनता न रहे।
  • कतिपय विद्यालयों द्वारा स्व मूल्यांकन की प्रक्रिया को केवल औपचारिकता स्वरूप संपन्न किया जा रहा है। जिससे शाला के सुधार होने में कठिनाई पैदा होगी। अनेक विद्यालयों द्वारा पोर्टल पर सही सूचनाएं अंकित नहीं की जाती है। सूचनाओं को अंतिम रूप से पोर्टल पर दर्ज करने से पूर्व संस्थाध्यक्ष अवश्य  सत्यापन कर ले और ध्यान रहे कि यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम है एवं इसमें किसी भी प्रकार की उदासीनता व लापरवाही न होने पाए।
  • सुधार  हेतु स्व मूल्यांकन के बाद विद्यालयों का बाह्य मूल्यांकन भी इस सत्र से आरंभ किया जा रहा है। बाह्य मूल्यांकन के लिए किसी भी समय केंद्र, राज्य अथवा जनपद स्तर पर गठित की गई टीमें मूल्यांकन हेतु आपके विद्यालय में पहुंच सकती हैं। संबंधित टीमों द्वारा विद्यालय का बाह्य मूल्यांकन किया जाना है एवं आपके द्वारा किए गए स्व मूल्यांकन का सत्यापन व विश्लेषण भी किया जाना है। इसलिए यह आवश्यक है कि स्व मूल्यांकन करते समय मानकों के अनुसार विद्यालय से संबंधित वास्तविक एवं सत्य सूचनाएं ही अंकित की जाएं।
  • कुछ विद्यालय द्वारा बिना पूर्व तैयारी के सीधे पोर्टल पर सूचनाओं की प्रविष्टि ऑनलाइन अपलोड कर दी जाती है, जबकि विद्यालय का स्व मूल्यांकन कार्य एक टीम वर्क है जिसमें विद्यालय के समस्त शिक्षकों एसएमसी सदस्यों और यथासंभव छात्र-छात्राओं से विचार विमर्श के बाद स्व मूल्यांकन प्रपत्र भरे जाने हैं। इस प्रकार पहले सभी निर्धारित आयामों के अंतर्गत विद्यालयों का मूल्यांकन क्या जाना है और संस्थाध्यक्ष के सत्यापन के बाद इन्हें पोर्टल पर अपलोड किया जाना है। किसी भी प्रकार के असत्य आंकड़े पोर्टल पर अपलोड न किए जाएं।
  • यथासंभव स्व मूल्यांकन प्रपत्र दो प्रतियों में विद्यालय की पत्रावली में अवश्य तैयार रखें एवं बाह्य मूल्यांकन के लिए पहुंचने वाली टीमों को एक प्रति उपलब्ध करवा दें।
  • पोर्टल पर लॉगइन संबंधी समस्या के निवारण के लिए संबंधित विद्यालय स्थायी PIN का उपयोग कर पासवर्ड रिसेट कर सकते हैं। शाला सिद्धि पोर्टल पर पासवर्ड रिसेट के लिए स्थायी पिन को विद्यालय कि शाला सिद्धि पत्रावली पर अवश्य अंकित करें।
  • शाला शिद्धि पोर्टल पर विद्यालय का विवरण अपलोड करने की प्रक्रिया जानने के लिए राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार टि.ग. के वेबपेज पर यहां क्लिक कर सकते हैं. स्व-मूल्यांकन की पूरी प्रक्रिया यहां पढ़ें।
  • शाला शिद्धि पोर्टल पर विद्यालय का विवरण अपलोड करने की प्रक्रिया के लिए तकनीकी सहायता हेतु सुशील डोभाल, प्रवक्ता अर्थशास्त्र के मोबाईल नंबर 9412920543 और मुकेश डोभाल क.स. राइका रानीचौरी के मोबाईल नंबर 9720623360 पर संपर्क किया जा सकता है। 

Thursday 10 January 2019

12वीं अर्थशास्त्र में मूल्यांकन पैटर्न हो सकता है सीबीएसई के समान।



उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा परिषद रामनगर द्वारा 12 वीं अर्थशास्त्र विषय का मूल्यांकन सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने की मांग पर बोर्ड सचिव ने सैद्धांतिक सहमति दी है। 17 जनवरी को आयोजित होने वाली बोर्ड की बैठक में उक्त प्रस्ताव रखा जाएगा। शासन के अनुमोदन मिलने पर अगले सत्र से यह बदलाव प्रभावी हो सकता है।
          उत्तराखंड के अधीन शासकीय और अशासकीय विद्यालयों के अभिभावक संघो, विद्यार्थियों और विद्यालयों में नियुक्त अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं ने इस विषय का मूल्यांकन सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने की मांग की थी। उत्तराखंड में एनसीईआरटी के समान पाठ्यक्रम है और सीबीएसई के विद्यालयों में और राज्य की सरकारी विद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम और पुस्तकें होने के बावजूद सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड का मूल्यांकन पेटर्न अलग अलग है। सीबीएसई ने विषय की जटिलता और न्यून परीक्षाफल को देखते हुए 12 वीं अर्थशास्त्र में 80 अंको की लिखित परीक्षा और 20 अंकों का परियोजना कार्य आधारित आंतरिक मूल्यांकन निर्धारित किया है जबकि उत्तराखंड बोर्ड द्वारा 100 अंको की लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है, जिस कारण सीबीएसई की तुलना में उत्तराखंड बोर्ड का कक्षा 12 अर्थशास्त्र विषय का परीक्षा फल बिछड़ जाता है। विगत दिनों राज्य के अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं की राजकीय इंटर कॉलेज पटेल नगर में संपन्न हुई बैठक में अनेक विध्यगत जटिलताओं के समाधान तलाशने के साथ ही मूल्यांकन पैटर्न में सीबीएसई के समान मानक अपनाई जाने पर जोर दिया गया। उधर प्रवक्ता अर्थशास्त्र विभोर भट्ट, सुशील डोभाल और डॉ हरि नंद भट्ट ने विद्यालय शिक्षा परिषद रामनगर की सचिव डॉ नीता तिवारी से भेट कर इस संदर्भ में अर्थशास्त्र का मूल्यांकन सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने का अनुरोध किया है। शिक्षकों का कहना है की मानविकी वर्ग में अर्थशास्त्र विषय अन्य विषयों की तुलना में जटिलतम विषय है जिस कारण विगत कई वर्षों से इसका परीक्षाफल छात्रों, अध्यापकों और परिषद की उम्मीद के अनुकूल नहीं आ रहा है। इसी कारण सीबीएसई द्वारा इस विषय में गत वर्ष से 20 अंक का परियोजना कार्य आधारित आंतरिक मूल्यांकन शुरु किया गया है। 
         शिक्षकों ने इस प्रकरण पर सीबीएसई के अर्थशास्त्र विषय के मूल्यांकन का ब्लूप्रिंट भी रामनगर परिषद के अधिकारियों को प्रस्तुत किया। बोर्ड की सचिव डॉ नीता तिवारी ने शिक्षकों को आश्वस्त किया की इस संदर्भ में तैयार किया गया प्रस्ताव आगामी 17 जनवरी को विद्यालय शिक्षा परिषद की बैठक में रखा जाएगा और शासन के अनुमोदन हेतु तुरंत भेजा जाएगा। बोर्ड के अपर सचिव बृजमोहन सिंह रावत ने कहा है की इस वर्ष बोर्ड परीक्षाओं के लिए कम समय बचा है और तैयारी भी पूरी कर ली गयी हैं किंतु शासन की स्वीकृति मिलने पर यह बदलाव अगले सत्र से किया जा सकेगा। इससे जहां राज्य के हजारों परीक्षार्थियों के लिए विषय अधिक रुचिकर बनेगा वहीं परीक्षाफल में भी सुधार होगा।
विषय की जटिलता पर चर्चा करते हुए प्रवक्ता विभोर भट्ट और सुशील डोभाल
कोर कमेटी के सदस्त प्रवक्ता सुशील डोभाल, विभोर भट्ट और डॉ हरिनन्द भट्ट।
बैठक में विचार विमर्श करते हुए राज्य के विभिन्न जनपदों के विषयाध्यापक।

Monday 7 January 2019

शिक्षकों की अनूठी पहल, शीतकालीन अवकाश में अर्थशास्त्र को रुचिकर बनाने के लिए किया मंथन।


   विद्यालयी शिक्षा परिषद  उत्तराखंड के अधीन इंटर कॉलेजों में कक्षा बारहवीं की अर्थशास्त्र विषय के प्रवक्ताओं की बैठक राजकीय इंटर कॉलेज पटेल नगर देहरादून में संपन्न हुई। बैठक में विषयगत जटिलताओं को सरल और रोचक ढंग से विद्यार्थियों के बीच रखने के लिए शिक्षकों द्वारा अनेक सुझाव दिए गए। अन्य विषयों की तुलना में गत वर्षो अर्थशास्त्र विषय की परीक्षाफल के कुछ विद्यालयों में कम रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके कारण और निवारण पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर विषय अध्यापकों द्वारा सीबीएसई और अन्य राज्यों के शिक्षा परिषदों के समान 80 अंक की लिखित परीक्षा और 20 का आंतरिक मूल्यांकन पेटर्न अपनाने पर भी जोर दिया गया।
      राजीकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार टिहरी गढ़वाल में नियुक्त प्रवक्ता अर्थशास्त्र सुशील डोभाल द्वारा सोशल मीडिया पर राज्य के समस्त अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं का शैक्षिक उन्नयन के उद्देश्य से एक समूह बनाया गया है जिसमे राज्य के समस्त विद्यालयों के अर्थशास्त्र प्रवक्ता जुड़ रहे हैं। इसी समूह के माध्यम से  प्रवक्ता सुशील डोभाल के साथ राइका कटापत्थर से प्रवक्ता डॉ हरिनंदन भट्ट, राइका म्यानी से प्रजापति नौटियाल,  और विभोर भट्ट की पहल पर सभी शिक्षकों की राइका पटेलनगर में बैठक आयोजित की गई, जिसमे विषयगत समस्याओं के निवारण और विषय को छात्रों के लिए रोचक बनाने पर विचार विमर्श किया गया।
       उल्लेखनीय है कि विद्यालय शिक्षा परिषद उत्तराखंड और सीबीएसई का अर्थशास्त्र विषय का पाठ्यक्रम एक समान है। यहां तक की पुस्तकें भी समान ही है किंतु सीबीएसई में 80 अंको की लिखित परीक्षा और 20 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन का पैटर्न होने से यह विषय छात्रों के लिए अधिक रुचिकर बन जाता है और इससे एक औसत परीक्षार्थी भी अच्छे अंक प्राप्त कर लेता है किंतु उत्तराखंड में आंतरिक मूल्यांकन के अभाव में 100 अंको की बोर्ड परीक्षा वर्षों से अर्थशास्त्र विषय के परीक्षार्थियों पर भारी पड़ रही है।  नतीजा अर्थशास्त्र विषय में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में परीक्षार्थी अनुत्तीर्ण होकर निराशा में चले जाते हैं। अन्य विषयों की तुलना में इसीकारण उत्तराखंड बोर्ड का परीक्षाफल अर्थशास्त्र  में गुणवत्तायुक्त नहीं आ पा रहा है। विभागीय अधिकारी उत्तराखंड बोर्ड का पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन का पैटर्न सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने के दावे तो करते हैं किंतु बरसों से इस खामी में किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया। राज्य के विभिन्न विद्यालयों से समय-समय पर अभिभावक शिक्षक संघ द्वारा बीसीबीएसई के समान मूल्यांकन पेटर्न अपनाने की मांग होती रही है किंतु इस मांग पर अभी तक न तो विभाग द्वारा और नहीं परिषद द्वारा कोई सकारात्मक कदम उठाए गए।
       अर्थशास्त्र विषय मानविकी विषयों के अंतर्गत सबसे जटिलतम विषय होने के कारण छात्रों के लिए हमेशा उलझन वाला विषय बना रहता है। कक्षा 11 में वे छात्राएं भी सांख्यिकी जैसे जटिल विषय को पड़ती है जिन्होंने कक्षा 9 और 10 वीं में गणित अथवा सांख्यिकी विषय नहीं पढ़ा होता है। इस कारण भी यह विषय अच्छा परीक्षा फल देने वाला नहीं माना जाता। उत्तराखंड के विद्यालय में संचालित पाठ्य पुस्तकों का बरसों से पुनरीक्षण भी नहीं किया गया। शिक्षकों का कहना है कि अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम के अंतर्गत संचालित होने वाली कक्षा 11 एवं 12 की पुस्तकों की भाषा शैली अत्यंत जटिल एवं नीरज है। विषय अध्यापकों द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विषयगत जटिलता को सरल बनाने और छात्रों के अनुकूल सरलतम भाषा शैली अपनाने पर सुझाव दिया जाता रहा है, किंतु ना तो परिषद द्वारा शिक्षकों के इस पक्ष को ध्यान में रखा जा रहा है और ना ही एससीईआरटी द्वारा इस दिशा में अभी तक कोई सही कदम उठाए गए। एक जैसी पुस्तकें और पाठ्यक्रम होने के बावजूद सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड का मूल्यांकन पेटर्न अलग अलग होने से सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षाफल में बड़ा अंतर आना स्वाभाविक है। सीबीएसई के समान ही पंजाब हरियाणा राजस्थान छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश बिहार कर्नाटक हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर उड़ीसा और पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों सहित लगभग सभी राज्यों में 80+20 अंको का मूल्यांकन पेटर्न लागू है जिस कारण उत्तराखंड की तुलना में अन्य राज्यों का परीक्षाफल बेहतरीन आता है। बहरहाल अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं का शीतकालीन अबकाश में छात्रहित में विषय की जटिलता पर मंथन के लिए ऐसी पहल को सराहनीय माना जा रहा है।
      बैठक में सुशील डोभाल, डॉ हरि नंद भट्ट, विभोर भट्ट, प्रीतम सिंह नेगी, बीके बिजलवान, रश्मि नेगी, नीलम गुसाईं, उपेंद्र भट्ट, सतीश कुमार, संजीव कुमार, प्रजापति नौटियाल, निरंजन कुमार, अभिषेक थपलियाल, रमेश पैन्यूली, ओम प्रकाश कोटनाला, जगदीश चौहान, दिगपाल सिंह गढ़िया और आरडी जोशी आदि ने विचार व्यक्त किये।






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