Monday, 7 January 2019

शिक्षकों की अनूठी पहल, शीतकालीन अवकाश में अर्थशास्त्र को रुचिकर बनाने के लिए किया मंथन।


   विद्यालयी शिक्षा परिषद  उत्तराखंड के अधीन इंटर कॉलेजों में कक्षा बारहवीं की अर्थशास्त्र विषय के प्रवक्ताओं की बैठक राजकीय इंटर कॉलेज पटेल नगर देहरादून में संपन्न हुई। बैठक में विषयगत जटिलताओं को सरल और रोचक ढंग से विद्यार्थियों के बीच रखने के लिए शिक्षकों द्वारा अनेक सुझाव दिए गए। अन्य विषयों की तुलना में गत वर्षो अर्थशास्त्र विषय की परीक्षाफल के कुछ विद्यालयों में कम रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके कारण और निवारण पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर विषय अध्यापकों द्वारा सीबीएसई और अन्य राज्यों के शिक्षा परिषदों के समान 80 अंक की लिखित परीक्षा और 20 का आंतरिक मूल्यांकन पेटर्न अपनाने पर भी जोर दिया गया।
      राजीकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार टिहरी गढ़वाल में नियुक्त प्रवक्ता अर्थशास्त्र सुशील डोभाल द्वारा सोशल मीडिया पर राज्य के समस्त अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं का शैक्षिक उन्नयन के उद्देश्य से एक समूह बनाया गया है जिसमे राज्य के समस्त विद्यालयों के अर्थशास्त्र प्रवक्ता जुड़ रहे हैं। इसी समूह के माध्यम से  प्रवक्ता सुशील डोभाल के साथ राइका कटापत्थर से प्रवक्ता डॉ हरिनंदन भट्ट, राइका म्यानी से प्रजापति नौटियाल,  और विभोर भट्ट की पहल पर सभी शिक्षकों की राइका पटेलनगर में बैठक आयोजित की गई, जिसमे विषयगत समस्याओं के निवारण और विषय को छात्रों के लिए रोचक बनाने पर विचार विमर्श किया गया।
       उल्लेखनीय है कि विद्यालय शिक्षा परिषद उत्तराखंड और सीबीएसई का अर्थशास्त्र विषय का पाठ्यक्रम एक समान है। यहां तक की पुस्तकें भी समान ही है किंतु सीबीएसई में 80 अंको की लिखित परीक्षा और 20 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन का पैटर्न होने से यह विषय छात्रों के लिए अधिक रुचिकर बन जाता है और इससे एक औसत परीक्षार्थी भी अच्छे अंक प्राप्त कर लेता है किंतु उत्तराखंड में आंतरिक मूल्यांकन के अभाव में 100 अंको की बोर्ड परीक्षा वर्षों से अर्थशास्त्र विषय के परीक्षार्थियों पर भारी पड़ रही है।  नतीजा अर्थशास्त्र विषय में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में परीक्षार्थी अनुत्तीर्ण होकर निराशा में चले जाते हैं। अन्य विषयों की तुलना में इसीकारण उत्तराखंड बोर्ड का परीक्षाफल अर्थशास्त्र  में गुणवत्तायुक्त नहीं आ पा रहा है। विभागीय अधिकारी उत्तराखंड बोर्ड का पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन का पैटर्न सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने के दावे तो करते हैं किंतु बरसों से इस खामी में किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया। राज्य के विभिन्न विद्यालयों से समय-समय पर अभिभावक शिक्षक संघ द्वारा बीसीबीएसई के समान मूल्यांकन पेटर्न अपनाने की मांग होती रही है किंतु इस मांग पर अभी तक न तो विभाग द्वारा और नहीं परिषद द्वारा कोई सकारात्मक कदम उठाए गए।
       अर्थशास्त्र विषय मानविकी विषयों के अंतर्गत सबसे जटिलतम विषय होने के कारण छात्रों के लिए हमेशा उलझन वाला विषय बना रहता है। कक्षा 11 में वे छात्राएं भी सांख्यिकी जैसे जटिल विषय को पड़ती है जिन्होंने कक्षा 9 और 10 वीं में गणित अथवा सांख्यिकी विषय नहीं पढ़ा होता है। इस कारण भी यह विषय अच्छा परीक्षा फल देने वाला नहीं माना जाता। उत्तराखंड के विद्यालय में संचालित पाठ्य पुस्तकों का बरसों से पुनरीक्षण भी नहीं किया गया। शिक्षकों का कहना है कि अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम के अंतर्गत संचालित होने वाली कक्षा 11 एवं 12 की पुस्तकों की भाषा शैली अत्यंत जटिल एवं नीरज है। विषय अध्यापकों द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विषयगत जटिलता को सरल बनाने और छात्रों के अनुकूल सरलतम भाषा शैली अपनाने पर सुझाव दिया जाता रहा है, किंतु ना तो परिषद द्वारा शिक्षकों के इस पक्ष को ध्यान में रखा जा रहा है और ना ही एससीईआरटी द्वारा इस दिशा में अभी तक कोई सही कदम उठाए गए। एक जैसी पुस्तकें और पाठ्यक्रम होने के बावजूद सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड का मूल्यांकन पेटर्न अलग अलग होने से सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड के परीक्षाफल में बड़ा अंतर आना स्वाभाविक है। सीबीएसई के समान ही पंजाब हरियाणा राजस्थान छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश बिहार कर्नाटक हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर उड़ीसा और पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों सहित लगभग सभी राज्यों में 80+20 अंको का मूल्यांकन पेटर्न लागू है जिस कारण उत्तराखंड की तुलना में अन्य राज्यों का परीक्षाफल बेहतरीन आता है। बहरहाल अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं का शीतकालीन अबकाश में छात्रहित में विषय की जटिलता पर मंथन के लिए ऐसी पहल को सराहनीय माना जा रहा है।
      बैठक में सुशील डोभाल, डॉ हरि नंद भट्ट, विभोर भट्ट, प्रीतम सिंह नेगी, बीके बिजलवान, रश्मि नेगी, नीलम गुसाईं, उपेंद्र भट्ट, सतीश कुमार, संजीव कुमार, प्रजापति नौटियाल, निरंजन कुमार, अभिषेक थपलियाल, रमेश पैन्यूली, ओम प्रकाश कोटनाला, जगदीश चौहान, दिगपाल सिंह गढ़िया और आरडी जोशी आदि ने विचार व्यक्त किये।






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