Tuesday 25 June 2019

विद्यालयी शिक्षा विभाग में प्रशासनिक संवर्ग के 12 शिक्षा अधिकारियों के ऐक्ट के अंतर्गत हुए स्थानांतरण। टिहरी के मुख्यशिक्षा अधिकारी डीसी गौड़ को सौंपा गया सीमेट विभागाध्यक्ष का दायित्व।



विद्यालयी शिक्षा विभाग में प्रशासनिक संवर्ग के 12 शिक्षा अधिकारियों के ऐक्ट के अंतर्गत हुए स्थानांतरण। टिहरी के मुख्यशिक्षा अधिकारी डीसी गौड़ को सौंपा गया सीमेट विभागाध्यक्ष का दायित्व। 


समूह क के अंतर्गत अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

      तबादला एक्ट के तहत पहली बार शिक्षा विभाग में अधिकारियों और शिक्षकों के बंपर तबादले हुए हैं। सरकार ने देहरादून, टिहरी और चमोली के सीईओ समेत 12 शिक्षा अफसरों के तबादले कर दिए। चमोली के सीईओ ललित मोहन चमोला को यूएसनगर का सीईओ बनाया गया है। समग्र शिक्षा अभियान में प्रभारी एपीडी के रूप में कार्यरत एसबी जोशी को बागेश्वर डायट का प्राचार्य बनाया गया है। जबकि दून की सीईओ आशा रानी पैन्यूली को गौचर डायट भेजा गया है। ये दोनों अधिकारी लंबे समय से सुगम क्षेत्र में तैनात थे। चार बीईओ स्तर के अधिकारियों को सुगम-दुगम और अनुरोध के आधार पर ट्रांसफर किया गया है। मंगलवार शाम शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने तबादले के आदेश जारी किए। दूसरी तरफ बेसिक, जूनियर, एलटी और प्रवक्ता कैडर के शिक्षकों के तबादले भी कर दिए गए हैं। देर रात तक जिला, मंडल स्तर से तबादला लिस्ट जारी की जा रही थीं।

         तबादला एक्ट के तहत पहली बार हुए इन तबादलों की वजह से शिक्षा विभाग के सामने एक मुश्किल भी खड़ी हो गई है। दरअसल सुगम और दुर्गम की सेवाओं के आधार पर देहरादून, टिहरी और चमोली के सीईओ को बदल दिया गया है, लेकिन उनकी जगह किसी को नहीं लाया गया है। श्रोत- hindustan news.


पूरी खबर शीघ्र अपडेट की जा रही है, कृपया प्रतीक्षा करें।

Wednesday 12 June 2019

"हिमवंत" के स्थायी सदस्यों की सूची।


दिनांक 12 जून 2019 के अनुसार "हिमवंत" के लिए स्थायी सदस्यों के नामों की सूची। समय समय पर यह सूची अपडेट की जाएगी। "हिमवंत" सदस्यों के लिए online registration form दाहिनी ओर यहां उपलव्ध है। 

Kiran Negi

Rohit 

Harpal Singh 

Dhirendra joshi

A K Dabral

Meenakshi Silswal

Mohan pathak

SURYAKANT TIWARI

Vijay Awasthi

Dinesh singh chauhan

RAJNESH NAUTIYAL

Dinesh singh chauhan

Vinay sundriyal

M Iqbal Akhtar Qureshi

Vijay

kalpana

Vijay singh

HUKAM NEGI

Rakesh Rana

Kamal Kishore Badoni

Vandana kala 

Saurav

Vinod kumar

Mangal ram 

Rohit singh

Kundan Singh Danu

Rajendra Kumar Beri

Suresh chand arya

Shraddha

Surendra Singh

Vijay Shriwan

Dr. Sunil Kumar Tripathi

Bobendr

Doulat Ram Badoni

Yashveer Singh

Matbar Singh 

Hari Om badoni

Ranjali.

      उपरोक्त समस्त सदस्यों से हिमवंत में प्रकाशनार्थ मौलिक रचनाएं, लेख, ब्लॉग, पेंटिंग्स और  विविध नवाचार आदि jakhnidhargic@gmail.com पर आमंत्रित किये है।

Tuesday 11 June 2019

खराब परीक्षाफल के लिए केवल शिक्षक ही उत्तरदायी क्यों ?


विद्यालय शिक्षा विभाग उत्तराखंड    खराब परीक्षाफल देने वाले शिक्षकों की विरुद्ध कार्यवाही करनी जा रहा है खबर देखकर दो बिंदुओं पर प्रमुखता से ध्यान जा रहा है, पहला यह की जिन विद्यालयों में साल भर विषयाध्यापकों की तैनाती ही नहीं हो पाई उन विद्यालयों के परीक्षाफल की जवाबदेही किसकी है? पर्वतीय क्षेत्रों के तमाम विद्यालय कई-कई वर्षों से शिक्षक विहीन है। विद्यालय स्तर पर पीटीए, एसएमसी सहित अभिभावक, छात्र-छात्राएं, स्थानीय जनता और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी विभाग से बार-बार गणित, विज्ञान, अंग्रेजी,अर्थशास्त्र, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान जैसे जटिल विषयों के शिक्षकों की रिक्त पदों पर तैनाती कि विभाग से मांग करते रहे हैं किंतु बावजूद इसके कई विद्यालय इन विषयों के शिक्षकों के बिना ही संचालित हो रहे हैं ऐसी स्थिति में क्यों न विभागीय अधिकारियों को भी जिम्मेदार मानते हुए उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जाए, उनकी भी वेतन वृद्धि रोक दी जाय।

     दूसरी बात सीबीएसई और आईसीएसई की तुलना में उत्तराखंड बोर्ड का परीक्षा फल क्यों पिछड़ रहा है, क्या विभागीय स्तर पर कभी इसके लिए मंथन किया गया?  सीबीएसई और आईसीएसई सहित देश के समस्त राज्यों के शिक्षा बोर्ड के मूल्यांकन और उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा परिषद रामनगर द्वारा निर्धारित मूल्यांकन पैटर्न का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो अन्य शिक्षा बोर्डों के मूल्यांकन पैटर्न की तुलना में हमारे मूल्यांकन पैटर्न में तमाम सुधार की जरूरत है। सीबीएसई और आईसीएसई सहित अन्य राज्यों के शिक्षा बोर्डों की बोर्ड परीक्षाओं में सभी जटिल विषयों के लिए 20 -20 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन, प्रयोगात्मक परीक्षा अथवा प्रोजेक्ट और असाइनमेंट या सीसीई के अंतर्गत मूल्यांकन तथा 80 अंकों की लिखित परीक्षा का प्रावधान है। कुछ राज्यो में तो 50 अंकों की बहुविकल्पीय परीक्षा और 50 अंकों की लिखित परीक्षा का भी प्रावधान किया गया है। स्वाभाविक बात है जबकि उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा और मूल्यांकन की प्रक्रिया अन्य बोर्डों की तुलना में 20 साल पीछे चल रही है तो ऐसे में विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर का कक्षा 10 और 12 का बोर्ड परीक्षाफल अन्य राज्यों और सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के समकक्ष रहने की कल्पना करना क्या बेईमानी नहीं होगी???

Friday 7 June 2019

नीट परीक्षा में उत्तराखंड में 60.67 अभ्यर्थियों ने पाई सफलता, उत्तराखंड में देहरादून के बैभव गर्ग ने पहला और टिहरी के अमन जुयाल ने प्राप्त किया दूसरा स्थान.


अमन जुयाल ने नीट परीक्षा में 675 अंकों के साथ किया उत्तराखंड में दूसरा स्थान प्राप्त
     राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) का परीक्षा परिणाम जारी हो गया है। उत्तराखंड में 60.67 अभ्यर्थियों ने सफलता पाई है। अब तक प्राप्त परिणामों के अनुसार देहरादून के वैभव गर्ग 682 अंकों के साथ पहले स्थान पर और अमन जुयाल 675 अंकों के साथ दसरे स्थान पर हैं। टॉपर वैभव ने इसी साल सेंट जोजेफ एकेडमी से 12वीं पास की है। वैभव ने ऑल इंडिया लेवल पर 74वीं रैंक हासिल की है। वहीं खटीमा के कंजाबाग निवासी विवेक गिरी ने नीट में 550 अंक हासिल किए। वहीं गौतम ने 670 अंक हासिल किए हैं। इस वर्ष 12531 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। जिसमें से 7602 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। इस बार टॉप-50 की सूची में उत्तराखंड का कोई छात्र शामिल नहीं है। गत वर्ष 58.55 फीसद अभ्यर्थी सफल हुए थे। इस बार सफलता का प्रतिशत बढ़ा है। 


    19 साल पहले टिहरी के रामपुर क्षेत्र निवासी मनोज जुयाल ने डॉक्टर बनने का सपना देखा था। लेकिन, संसाधनों की कमी उनकी राह का रोड़ा बन गई। अब 19 साल बाद उनके बेटे अमन जुयाल ने नीट में उत्तराखंड में दूसरा स्थान हासिल कर अपने पिता के सपने को पूरा करने की तरफ  कदम बढ़ा दिए हैं। टिहरी गढ़वाल के रामपुर डूब क्षेत्र निवासी मनोज जुयाल का परिवार विस्थापित क्षेत्र पथरी हरिद्वार में निवास करता है। मनोज राजकीय इंटर कॉलेज कमांद में सहायक अध्यापक के तौर पर सेवारत हैं वहीं, उनकी पत्नी अनीता जुयाल प्राइमरी विद्यालय कमांद में बतौर शिक्षिका कार्यरत हैं। मनोज ने बताया कि पढ़ाई करते वक्त वह भी डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह कोचिंग कर सके। लेकिन जब बेटे अमन ने राजकीय इंटर कॉलेज कमांद से 94.2 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा पास की तो उनकी आंखों में वर्षों पुराने अपने सपने के पूरे होने की उम्मीद जगने लगी। अमन ने हाईस्कूल में प्रदेश में 12वां और इंटरमीडिएट में 14वां स्थान हासिल किया। इसके बाद उसने दून में अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू की। अमन ने बताया कि शुरुआत में इंग्लिश मीडियम के कारण कुछ दिक्कत हुई लेकिन शिक्षकों के मार्गदर्शन और सहयोग ने उसकी राह आसान कर दी। अमन ने बताया कि विपिन बलूनी समेत अन्य शिक्षकों ने उसे लगातार मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी का नतीजा है कि अमन ने नीट में रिकॉर्ड सफलता हासिल की और संस्थान व अपने परिवार का नाम रोशन किया।                                                  साभार अमर उजाला देहरादून


नीट कटऑफ उत्तराखंड 2019 - हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी (HNBUMU), देहरादून काउंसलिंग के बाद तीन प्रतिभागी संस्थानों की राज्य कोटा सीटों के लिए NEET 2019 उत्तराखंड का कटऑफ जारी करेगी। उत्तराखंड NEET कटऑफ 2019 कैटेगरी स्पेसेफिक होगी और अगस्त के चौथे सप्ताह के आसपास जारी की जाएगी। इस बीच ऑल इंडिया कोटा सीटों के लिए नीट 2019 कटऑफ उत्तराखंड, एमसीसी की तरफ से डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेस (DGHS) जारी करेगा। राज्य कोटा सीटों और AIQ सीटों, दोनों पर दाखिले के लिए मेरिट लिस्ट NEET 2019 रैंक या स्कोर के आधार पर तैयार किया जाएगा, जो बदले में कटऑफ तैयार करने में प्रयोग में लाया जाएगा। नतीजतन, सिर्फ नीट में पास होने वाले अभ्यर्थी ही दाखिला प्राप्त कर सकेंगें। एक इंस्टीट्यूट के नीट कटऑफ 2019 उत्तराखंड का निर्धारण करने वाले अन्य कारकों में शामिल होगा
     नीट 2019 उत्तराखंड का कटऑफ दाखिले के लिए अंतिम रैंक या स्कोर बताता है। इसलिए, ऐसे अभ्यर्थी जिन्हें  उत्तराखंड नीट कटऑफ 2019 से कम अंक लाएंगे, उनके दाखिले की संभावना बहुत कम होगी और उन्हें तब तक दाखिला नहीं मिल सकेगा जब तक सीट प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी अपनी सीट न छोड़ दें।  नीट 2019 कटऑफ उत्तराखंड काउंसलिंग प्रक्रिया के पूरे होने के बाद ही जारी किया जाएगा, इसलिए अभ्यर्थी कटऑफ रूझानों को समझने के लिए पिछले वर्षों के कटऑफ विवरणों पर एक नजर डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, किस इंस्टीट्यूट ने सबसे अधिक कटऑफ की मांग की और किस इंस्टीट्यूट में दाखिला प्राप्त करना सरल रहा। 
प्रतिभागी इंस्टीट्यूट में उत्तराखंड नीट 2019 कटऑफ निर्धारण करने वाले कारक 
        
  •  दाखिले के लिए प्राप्त होने वाले एप्लीकेशन की संख्या     
  • स्वीकृत सीटों की संख्या 
  • अभ्यर्थी की श्रेणी/ कैटेगरी 
  • नीट 2019 परीक्षा में कठिनाई का स्तर 
  • परीक्षा में अभ्यर्थियों का प्रदर्शन 

उत्तराखंड नीट एमबीबीएस कटऑफ 2019 – राज्य कोटा 
राज्य कोटा के लिए उत्तराखंड नीट कटऑफ 2019 HNBUMU द्वारा प्रकाशित किया जाएगा। उत्तराखंड एमबीबीएस एडमिशन 2019 (Uttarakhand MBBS admission 2019) के लिए निर्धारित आरक्षण नीति के तहत शामिल विभिन्न श्रेणियों के लिए नीट कटऑफ 2019उत्तराखंड जारी किया जाएगा। नीट 2019 कटऑफ उत्तराखंड के लिए राज्य कोटा के तहत शामिल श्रेणियां हैंअनारक्षित (UR), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचितजाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST)
नीट 2019 कटऑफ उत्तराखंड ऑल इंडिया कोटा 
15% ऑल इंडिया कोटा उत्तराखंड नीट कटऑफ 2019के लिए काउंसलिंग और सीट अलाट्मन्ट DGHS द्वारा किया जाएगा। यह काउंसलिंग की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद तीन अफिलीऐटड मेडिकलकॉलेजों के लिए भी कटऑफ्स जारी करेगा। काउंसलिंग अभ्यर्थियों के कैटेगरीवाइज मेरिटरैंक के आधार पर केंद्रीय स्तर पर किया जाएगा जिसका निर्धारणनीट 2019 स्कोर्स से होगा। सिर्फ ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने नीट 2019 के बराबर या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हों, उन्हें हीं एमबीबीएस कोर्स में दाखिला मिलने की संभावना है। 

Monday 3 June 2019

नई शिक्षा नीति के मसौदे से हिंदी की अनिवार्यता हटी, राज्य ग्रेड-6 और 7 में बदल सकेंगे भाषा।

   

केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर उठे विवाद के बीच सोमवार को नई शिक्षा नीति का संशोधित मसौदा जारी कर दिया। इसमें गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी अनिवार्य किए जाने का उल्लेख नहीं है। तमिलनाडु में द्रमुक और अन्य दलों ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध किया था और आरोप लगाया था कि यह हिंदी भाषा थोपने जैसा है।

नई शिक्षा नीति के संशोधित मसौदे में कहा गया है कि जो छात्र पढ़ाई जाने वाली तीन भाषाओं में से एक या अधिक भाषा बदलना चाहते हैं, वे ग्रेड 6 या ग्रेड 7 में ऐसा कर सकते हैं, जब वे तीन भाषाओं में माध्यमिक स्कूल के दौरान बोर्ड परीक्षा में अपनी दक्षता प्रदर्शित कर पाते हैं। इससे पहले के मसौदे में समिति ने गैर हिंदी प्रदेशों में हिंदी की शिक्षा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया था।
        इस मुद्दे पर तमिलनाडु में द्रमुक सहित कई अन्य दलों ने भारी विरोध शुरू कर दिया था। इस मुद्दे विवाद उठने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रविवार को स्पष्ट किया था कि किसी प्रदेश पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, यह मसौदा रिपोर्ट है ना कि अभी कोई नीति। हमने विभिन्न पक्षकारों की राय मांगी है। समिति ने पहले के मसौदे में सुधार किया है और कुछ बदलाव किए हैं।
        द्रमुक के राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा और मक्कल नीधि मैयम नेता कमल हासन ने इसे लेकर अपना विरोध जताया था। तिरूचि शिवा ने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि हिंदी को तमिलनाडु में लागू करने की कोशिश कर केंद्र सरकार आग से खेलने का काम कर रही है।
तमिलनाडु ने हिंदी ''थोपने का हमेशा" से विरोध किया है। साल 1965 में राज्य में उस प्रस्ताव के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे कि हिंदी भारत की एकमात्र आधिकारिक भाषा होगी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने रविवार को कहा कि त्रिभाषा फॉर्मूले के नाम पर दूसरों पर कोई भाषा नहीं थोपी जानी चाहिए। देश की नई शिक्षा नीति के मसौदे से अनिवार्य हिंदी शिक्षण के विवादास्पद प्रावधान को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए द्रमुक ने कहा कि इससे पता चलता है कि पार्टी संरक्षक दिवंगत एम करुणानिधि ''जिंदा" हैं।
       अपनी पार्टी के पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, ''ऐसे समय में जब हम थलैवर (नेता) कलैनार (दिवंगत करुणानिधि) की जयंती मना रहे हैं, केंद्र सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने संबंधी प्रावधान को वापस लिए जाने से पता चलता है कि कलैनार अभी जीवित हैं। वह करूणानिधि की विरासत का हवाला दे रहे थे।" उन्होंने कहा, ''आइए, हम हिंदी को जबरन थोपने का विरोध कर हमेशा अपनी मातृभाषा तमिल की रक्षा करें। वह तमिलनाडु में पांच दशकों से द्विभाषी फॉर्मूले को खतरे में डालने वाले किसी भी फैसले का लोकतांत्रिक तरीके से पुरजोर विरोध करेगी।" उसने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि हिंदी को तमिलनाडु में लागू करने की कोशिश कर केंद्र सरकार आग से खेलने का काम कर रही है।
          दिग्गज द्रविड़ नेता और पार्टी के संस्थापक सी एन अन्नादुरई के नेतृत्व में 1967 में सत्ता में आने के बाद 1968 से राज्य में तमिल और अंग्रेजी का द्विभाषी फॉर्मूला चल रहा है। भाजपा के सहयोगी दल पीएमके ने आरोप लगाया कि यह सिफारिश हिंदी थोपने के लिए की गई और वह इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग करती है। ऑस्कर पुरस्कार विजेता संगीतकार ए आर रहमान ने केंद्र के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट किया, ''नयी शिक्षा नीति के मसौदे में सुधार किया गया। बहुत अच्छा समाधान।"
कांग्रेस नेता एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में तीन भाषाओं के फार्मूले का सोमवार को जबर्दस्त विरोध किया। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को थोपना और कुछ नहीं बल्कि राज्यों पर “नृशंस हमला” है। सिद्धरमैया ने कहा, “हमारी राय के खिलाफ कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए। तीन भाषाओं की कोई जरूरत नहीं है। अंग्रेजी एवं कन्नड़ पहले से हैं ...वे काफी हैं। कन्नड़ हमारी मातृ भाषा है, इसलिए प्रमुखता कन्नड़ को दी जानी चाहिए।” मैसुरु में उन्होंने संवाददाताओं से यह भी कहा कि कर्नाटक के जल, भूमि एवं भाषा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। साभार- दैनिक हिंदुस्तान।

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