1-आंगनबाड़ी को प्री-प्राइमरी स्कूल में बदला जायेगा। राज्य एक साल के भीतर कोर्स बनायेंगे तथा शिक्षकों का अलग कैडर बनायेंगे।
2-सभी प्राइमरी स्कूल प्री-प्राइमरी स्कूल से सुसज्जित होंगे। आगनबाड़ी केंद्रों को स्कूल कैम्पस में स्थापित किया जायेगा।
4-नो डिटेंशन अब कक्षा 05 तक होगा।
5-RTE को 12 वीं तक ले जाया जायेगा।
6-विज्ञान, गणित तथा अंग्रेजी का समान राष्ट्रीय पाठ्यक्रम होगा। सामाजिक
विज्ञान का एक हिस्सा समान होगा, शेष का निर्माण राज्य करेंगे।
7-कक्षा 6 से ICT आरंभ होगी।
8-कक्षा 6 से विज्ञान सीखने के लिए प्रयोगशाला की सहायता ली जायेगी।
9-गणित, विज्ञान तथा अंग्रेजी के कक्षा 10 हेतु दो लेबल होंगे-A तथा B
10-कक्षा 10 व 12 में बोर्ड परीक्षा अनिवार्य।
11-ICT का शिक्षण तथा अधिगम सुनिश्चित करने हेतु प्रयोग।
12-विद्यालय के कार्यों का कम्प्यूटीकरण तथा शिक्षकों-छात्रों की उपस्थिति की ऑनलाइन मॉनिटरिंग।
13-राज्यों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिये अलग से 'शिक्षक भर्ती आयोग'। नियुक्ति पारदर्शी तथा मैरिट के आधार पर होगी।
14-सभी रिक्त पद भरे जाएं। प्रधानाचार्यों के लिये लीडरशिप ट्रेनिंग अनिवार्य।
15-राष्ट्रीय स्तर पर 'टीचर एजुकेशन विश्वविद्यालय' की स्थापना।
16-राष्ट्रीय पुरस्कारों को राज्य तथा जिला स्तर तक लाया जाये। अनुशंसा में SMC की महत्वपूर्ण भूमिका।
17-हर पांच साल में शिक्षकों को एक परीक्षा देनी होगी। इसे उनके प्रमोशन तथा इन्क्रीमेंट से जोड़ा जायेगा।
18-अगर राज्य चाहें तो कक्षा 05 तक मातृभाषा, स्थानीय व क्षेत्रीय भाषा को पढाई का माध्यम बना सकते हैं।
19-GDP का 6% शिक्षा पर खर्च करने के लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश हो।
20-नयी संस्थाओं को खोलने के बजाय मौजूदा शिक्षण संस्थाओं को मजबूत किया जाये।
21-मिड डे मील का दायित्व शिक्षकों के ऊपर से हटाकर महिला स्वयं सहायता
समूहों को दिया जायेगा। भोजनबनाने की केंद्रिकत प्रणाली विकसित की जायेगी।
"सुशील डोभाल."
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