Wednesday, 31 October 2018

राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार में राष्ट्रीय एकता दिवस पर अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन

 प्रवक्ता अर्थशास्त्र सुशील डोभाल द्वारा प्रस्तुत आख्या

   भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्ल्भ भाई पटेल के जन्मदिन के उपलक्ष में राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार में राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया. राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भारत ही नहीं दुनियाभर में अपना लोहा मनवाने वाले सरदार पटेल के योगदान को याद करते हुए एकता और अखंडता का संकल्प लिया गया. इस अवसर पर विद्यालय में भाषण, निवंध, स्लोगन तथा पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.
एकता और अखंडता के लिए पतिज्ञा
      प्रधानाचार्य श्री महावीर सिंह परमार ने विद्यार्थियों को बताया की भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने की वजह से सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक अत्‍यंत गौरवपूर्ण स्थान पाया।  उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए गुजरात में नर्मदा नदी के सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची लौह प्रतिमा का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी सरदार पटेल की 137वीं जयंती पर इस प्रतिमा को आज राष्ट्र को स‍मर्पित कर रहे हैं। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। इस प्रतिमा का नाम एकता की मूर्ति (स्टेच्यू ऑफ यूनिटी) रखा गया है।
निवन्ध प्रतियोगिता
      राजकीय इंटर कॉलेज जाख्निधार में राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आज विद्यालय में भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्ल्भ भाई पटेल के योगदान को याद करते हुए समस्त शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं द्वारा राष्ट्रीय एकता के शपथ लेते हुए सरदार पटेल के आदर्शों का अनुसरण करने का आवाहन किया गया. कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधानाचार्य द्वारा दीप प्रज्वातित एवं छात्राओं द्वारा मां शारदे की वन्दना से हुआ. समस्त शिक्षकों व सदन प्रमुख छात्र-छात्राओं द्वारा सरदार पटेल को श्रधांजली अर्पित की गयी. इस अवसर पर समस्त शिक्षकों कर्मचारियों एवं छात्रों द्वारा राष्ट्रीय एकता की शपथ भी ली गयी.
एकताके लिए प्रतिज्ञा
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ट शिक्षक एवं राजकीय शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष श्री दिनेश प्रसाद डंगवाल ने कहा की भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हे भारत का 'लौहपुरुष' के रूप में जाना जाता है। सरदार पटेल की महानतम देन थी की उन्होंने बिना खून खराबे के 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया. केवल हैदराबाद के 'ऑपरेशन पोलो' के लिए उन्हें सेना भेजनी पड़ी। इस अवसर पर विधालय के शिक्षक श्री राजेश कुमार उपाध्याय, कक्षा १२ की छात्रा कुमारी किरण अमोला, बबिता, मोनिका, विजय और प्रिया पालीवाल आदि ने भी सरदार वल्ल्भ भाई पटेल के योगदान पर भाषण प्रस्तुत किये तथा निवंध, स्लोगन तथा चित्रकला आदि की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गयी.
मंचासीन शिक्षक व अतिथिगण


आइए जानते हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में 10 बातें-
1. सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई। पटेल जब सिर्फ 33 साल के थे, तब उनकी पत्नी का निधन हो गया।


2. सरदार पटेल अन्याय नहीं सहन कर पाते थे। अन्याय का विरोध करने की शुरुआत उन्होंने स्कूली दिनों से ही कर दी थी। नडियाद में उनके स्‍कूल के अध्यापक पुस्तकों का व्यापार करते थे और छात्रों को बाध्य करते थे कि पुस्तकें बाहर से न खरीदकर उन्हीं से खरीदें। वल्लभभाई ने इसका विरोध किया और छात्रों को अध्यापकों से पुस्तकें न खरीदने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप अध्यापकों और विद्यार्थियों में संघर्ष छिड़ गया। 5-6 दिन स्‍कूल बंद रहा। अंत में जीत सरदार की हुई। अध्यापकों की ओर से पुस्तकें बेचने की प्रथा बंद हुई।
3. सरदार पटेल को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी समय लगा। उन्होंने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की। सरदार पटेल का सपना वकील बनने का था और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें इंग्लैंड जाना था, लेकि‍न उनके पास इतने भी आर्थिक साधन नहीं थे कि वे एक भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश ले सकें। उन दिनों एक उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से पढ़ाई कर वकालत की परीक्षा में बैठ सकते थे। ऐसे में सरदार पटेल ने अपने एक परिचित वकील से पुस्तकें उधार लीं और घर पर पढ़ाई शुरू कर दी।
4. बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहां की महिलाओं ने 'सरदार' की उपाधि प्रदान की। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को 'भारत का बिस्मार्क' और 'लौहपुरुष' भी कहा जाता है। सरदार पटेल वर्णभेद तथा वर्गभेद के कट्टर विरोधी थे।

5. इंग्‍लैंड में वकालत पढ़ने के बाद भी उनका रुख पैसा कमाने की तरफ नहीं था। सरदार पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वे लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के कहने पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमें उन्हें जीत भी हासिल हुई।
6. सरदार पटेल गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे। 1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा। किसानों ने करों से राहत की मांग की, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया। गांधीजी ने किसानों का मुद्दा उठाया, पर वो अपना पूरा समय खेड़ा में अर्पित नहीं कर सकते थे इसलिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे, जो उनकी अनुपस्थिति में इस संघर्ष की अगुवाई कर सके। इस समय सरदार पटेल स्वेच्छा से आगे आए और संघर्ष का नेतृत्व किया।

7. गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था। इस काम को उन्होंने बिना खून बहाए करके दिखाया। केवल हैदराबाद के 'ऑपरेशन पोलो' के लिए उन्हें सेना भेजनी पड़ी। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हे भारत का 'लौहपुरुष' के रूप में जाना जाता है। सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी।
8. सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते। वे महात्मा गांधी की इच्छा का सम्मान करते हुए इस पद से पीछे हट गए और नेहरूजी देश के पहले प्रधानमंत्री बने। देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उपप्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारतरत्न से उन्‍हें नवाजा गया। यह अवॉर्ड उनके पौत्र विपिनभाई पटेल ने स्वीकार किया।
9. सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था। वे अहमदाबाद में किराए एक मकान में रहते थे। 15 दिसंबर 1950 में मुंबई में जब उनका निधन हुआ, तब उनके बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपए मौजूद थे।

10. आजादी से पहले जूनागढ़ रियासत के नवाब ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया था लेकिन भारत ने उनका फैसला स्वीकार करने से इंकार करके उसे भारत में मिला लिया। भारत के तत्कालीन उपप्रधानमंत्री सरदार पटेल 12 नवंबर 1947 को जूनागढ़ पहुंचे। उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिए और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया।

जम्मू एवं कश्मीर, जूनागढ़ तथा हैदराबाद के राजाओं ने ऐसा करना नहीं स्वीकारा। जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया, तो सरदार पटेल ने वहां सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया, किंतु कश्मीर पर यथास्थिति रखते हुए इस मामले को अपने पास रख लिया। 

साभार- https://hindi.webdunia.com/national-hindi-news

Tuesday, 23 October 2018

विज्ञान महोत्सव में राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार बना ऑवरआल चैम्पियन.

मार्गदर्शक शिक्षक श्री सुशील डोभाल के साथ विज्ञान ड्रामा के बालकलाकार
     विकासखंड स्तरीय विज्ञान महोत्सव कार्यक्रम आज राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार में संपन्न हुआ. कार्यक्रम में विकासखंड के समस्त माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के  छात्र-छात्राओं और  उनके मार्गदर्शक शिक्षकों द्वारा विभिन्न मॉडल आदि के साथ प्रतिभाग किया गया. प्रतियोगिता में राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार ओवरऑल चैंपियन रहा. उधर ब्लॉक स्तरीय क्रीडा प्रतियोगिता में भी विद्यालय से तीन विद्यार्थियों का जनपद के लिए चयन हुआ है.
मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों के साथ प्रधानाचार्य श्री परमार जी
          विकासखंड स्तरीय विज्ञान महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन 23 अक्टूबर को राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार में किया गया. कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी व प्रधानाचार्य राइका अंजनीसैन श्री एलपी भट्ट द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. इस अवसर पर छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए. मुख्य अतिथि ने छात्र छात्राओं को विज्ञान विषय की उपयोगिता समझाते हुए कहाँ है की विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर नई खोज हो रही है और अनुसंधानों का यह क्रम अनंत काल तक चलता रहेगा. इस मौके पर आयोजक विद्यालय के प्रधानाचार्य महावीर सिंह परमार ने विद्यार्थियों से विज्ञान के छोटे छोटे पहलुओं को गंभीरता से समझने का आवाहन किया है. कार्यक्रम का संचालन राजकीय शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष श्री दिनेश प्रसाद डंगवाल ने किया.
विज्ञान ड्रामा "राधा की समझदारी" के बालकलाकार
            इस कार्यक्रम में विकासखंड की समस्त माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के दर्जनों प्रतिभागी छात्रों व शिक्षकों द्वारा  रोचक माडल्स के साथ प्रतिभाग किया गया. विज्ञान महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत विज्ञान प्रदर्शनी, विज्ञान मेला एवं विज्ञान ड्रामा का आयोजन अलग अलग सभागारों में किया गया. प्रतिभागी छात्र छात्राओं ने विज्ञान मेले के अंतर्गत अपने अपने विद्यालयों के अलग अलग स्टाल लगाये थे. कार्यक्रम में प्रतिभागियों द्वारा विज्ञानं प्रदर्शनी के अंतर्गत जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान  मुख्य विषय पर कृषि एवं जैविक खेती, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य, संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, परिवहन एवं संचार और गणितीय प्रतिरूपण पर बेहतरीन माडल्स प्रस्तुत किये. जवकि विज्ञान ड्रामा के अंतर्गत डिजिटल भारत पर राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार के बाल कलाकारों से अपने अभिनय से माहोल में रोचकता बना दी. छात्रों द्वारा साइवर अपराधों के प्रति सतर्क रखने के लिए बेहतर ढंग से नाटक के माध्यम से जनसामान्य को संदेश दिया गया .
विज्ञान ड्रामा के विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए
      विज्ञान ड्रामा के अंतर्गत राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार के प्रवक्ता अर्थशास्त्र श्री सुशील डोभाल द्वारा निर्देशित विज्ञान नाटक "राधा की समझदारी" में बालकलाकार कुमारी प्रिया पालीवाल, रिया, सुष्मिता, सोनिया, मनीष और बबीता ने बेहतरीन अभिनय करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया. विज्ञान प्रदर्शनी में संसाधन प्रबंधन उप विषय के अंतर्गत इस विद्यालय की कक्षा १० की छात्रा कुमारी पूनम और निकिता प्रथम, राइका मदन नेगी से राहुल द्वितीय, गणितीय प्रतिरूप में राइका रजाखेत से अनूप पेटवाल प्रथम, राइका थालकाधार से हिमांशु द्वीतीय, उप विषय जैविक खेती में राइका भरेटीधार से साहिल भट्ट प्रथम, राइका अंजनी सैन से साहिल बिष्ट द्वितीय, उप विषय अपशिष्ट प्रबंधन में राइका रजाखेत से एकता पांडे ने प्रथम और राइका अंजनीसैन से सूर्य प्रकाश ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया.
प्रधानाचार्य श्री परमार जी को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए जीएस नेगी जी
            विज्ञान महोत्सव में तीनो  प्रतियोगिताओं में राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार ओवरआल चैम्पियन रहा. प्रतियोगिता में चयनित प्रतिभागियों और उनके मार्गदर्शक शिक्षको को मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री डीसी गौड़, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक श्री शिव प्रसाद सेमवाल, जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक श्री सुदर्शन सिंह बिष्ट, खंड शिक्षा अधिकारी जाखणीधार श्री धनबीर सिंह, जिला विज्ञान संयोजक श्री अलख नारायण दूवे एवं राजकीय शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष श्री दिनेश प्रसाद डंगवाल ने बधाई दी है. इस अवसर पर राजकीय शिक्षक संघ के ब्लाक मंत्री श्री रजनीश नौटियाल ब्लॉक विज्ञान संयोजक केएस बगियाल व गबर सिंह नेगी, ब्लाक कोर्डिनेटर इंस्पायर अवार्ड सुशील डोभाल, एमएस पंवार, पंकज डंगवाल, राकेश नेगी, बीडी बिजल्वान, बिरेन्द्र राजपूत, यशपाल सिंह राणा, संजीब नेगी, अरबिंद बहुगुणा, दिनेश रावत, सुनील बिष्ट, मोहम्मद इलयास, श्रीमती लक्ष्मी तनवर आदि मार्गदर्शक शिक्षक मौजूद थे. उधर ब्लॉक स्तरीय क्रीडा प्रतियोगिता में भी विद्यालय से तीन विद्यार्थियों का जनपद के लिए चयन हुआ है.उक्त आशय की जानकारी देते हुए ब्लाक क्रीडा संयोजक श्री दिनेश रावत ने बताया है की राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार से कक्षा 11 के छात्र दुर्गेश पेटवल और सौरव पंवार तथा कक्षा 10 की छात्र कुमारी ऐश्वर्या का चयन बालीबाल प्रतियोगिता में जनपद के लिए हुआ है. जनपदीय प्रतियोगिता 25 व 26 अक्टूबर को राइका कीर्तिनगर में आयोजित की जा रही है.




राजकीय शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष श्री दिनेश प्रसाद डंगवाल का बैज अलंकरण करते हुए मोहम्मद इलयास

Friday, 12 October 2018

राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार में खुला विद्यालयी शिक्षा विभाग का पहला आधार नामांकन केंद्र। समस्त ऑपरेटर्स के लिए यहाँ मिलेंगे उपयोगी सुझाव।


सुशील डोभाल, पर्यवेक्षक  
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा विभाग स्कूली छात्र-छात्राओं की सुविधा को ध्यान में रखते हए आधार नामांकन और संशोधन का कार्य भी आरम्भ करने जा रहा है. विद्यार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रथम चरण में  राज्य के सभी 95 विकासखंडो में एक एक आधार नामांकन केंद्र स्थापित कर रहा है. इसी के तहत राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार टिहरी गढ़वाल में आधार नामांकन केंद्र स्थापित किया गया है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा केंद्र के पर्यवेक्षक सुशील डोभाल की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया के साथ ही अब आधार नामांकन और संशोधन की प्रक्रिया भी आरम्भ हो गयी है. विद्यालय में आधार नामांकन केंद्र खुलने से विकासखंड के समस्त विद्यार्थियों और अन्य निवासियों को सुविधा मिलना तय है.  
      केंद्र सरकार द्वारा  में गोपनीयता बनाये रखने एवं मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए निजी एजेंसियों को आधार नामांकन के कार्य से बाहर कर दिया है।  इसी के तहत अब केवल सरकारी संस्थानों में आधार केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं. स्कूलों में शतप्रतिशत विद्यार्थियों को आधार से आच्छादित करने व उन्हें सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करने  के उद्देश्य से शासन के प्रस्ताव पर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने शिक्षा विभाग को नामांकन एजेंसी बनाया है. नामांकन एजेंसी द्वारा राज्य के सभी विकासखंडों से दो दो शिक्षक/कर्मचारियों को  मास्टर ट्रेनरों के रूप में प्रशिक्षण देकर उनके माध्यम से सभी संकुलों से दो दो शिक्षक कर्मचारियों को आधार नामांकन का प्रशिक्षण दिया था और इसप्रकार विकासखंडों के मास्टर ट्रेनर और संकुलों के दो दो शिक्षकों द्वारा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा आयोजित आधार नामांकन व संशोधन प्रकिया संचालन हेतु ओपरेटर व सुपरवाईजर की ऑनलाइन परीक्षा देकर प्रमाण पत्र प्राप्त किया था. इसी के तहत राज्य के सभी विकासखंडों में प्रथम चरण में एक एक आधार केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं. विभाग के निर्देशों पर राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार में आधार केंद्र स्थापित किया गया है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा केंद्र के पर्यवेक्षक सुशील डोभाल की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया के साथ ही अब आधार नामांकन और संशोधन की प्रक्रिया भी आरम्भ हो गयी है. राज्य नोडल अधिकारी  श्री सुभाष चंद्र भट्ट मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री डीसी गौड, जिला शिक्षा अधिकारी  प्राथमिक शिक्षा श्री सुदर्शन सिंह रावत खंड शिक्षा अधिकारी श्री धनवीर सिंह सहित कई अधिकारियों ने आधार केंद्र के  पर्यवेक्षक श्री सुशील डोभाल और विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री महावीर सिंह परमार को आधार केंद्र संचालन के लिए शुभकामनाएं दी है। 

विद्यालयी शिक्षा विभाग उत्तराखंड के अंतर्गत आधार केंद्र के ऑपरेटर्स और सुपरवाइजर के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
         राज्य की समस्त विकास खंडों में स्थापित किए जा रहे आधार केंद्र पर नियुक्त ऑपरेटर व सुपरवाइजर साथी भली-भांति विदित हैं कि हम लोगों को एक महत्वपूर्ण कार्य विभाग द्वारा सौंपा गया है किसी भी नए कार्य को आरंभ करने में अनेक समस्याएं सामने आती है विशेष रूप से आधार कार्ड नामांकन और संशोधन का कार्य इसलिए भी जटिल हो जाता है क्योंकि इसमें अनेक प्रक्रियाओं को पूरा करना होता है और यह संपूर्ण कार्य  कम्प्यूटर द्वारा ऑनलाइन होना है आधार कार्ड नामांकन और संशोधन की प्रक्रिया से पूर्व हमें निम्नवत पूर्व तैयारियां करनी होंगी

1- सभी साथियों को ऑपरेटर सुपरवाइजर को खंड शिक्षा अधिकारी अथवा उप शिक्षा अधिकारी के माध्यम से आधार किट प्राप्त हो गई होंगी। सबसे पहले आधार किट में विभाग द्वारा दी गई समस्त सामग्री को चेक लिस्ट से मिलान कर लें मिलान करने के बाद सभी डिवाइसेज को संयोजित कर ले, इसके साथ ही यह देख लिया जाए की आधार किट में प्रयुक्त होने वाला लैपटॉप, उसका चार्जर, फिंगरप्रिंट स्कैनर, आइरिस स्कैनर, डिजिटल कैमरा, प्रिंटर और अन्य समस्त सामग्री सही स्थिति में कार्य कर रही है अथवा नहीं। कुछ  केंद्रों से चार्जर ना होने अथवा अन्य डिवाइसेज में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही है इस प्रकार की कमियों के पाए जाने पर तुरंत मेल द्वारा नोडल अधिकारी महोदय को अपनी शिकायत पंजीकृत कर दें. नोडल अधिकारी का मेल यहाँ दिया जा रहा है. ua.elementary@yahoo.in 
आधार किट में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की सूची 
2-  आप को दिए गए लैपटॉप पर आधार नामांकन और संशोधन सहित संबंधित सॉफ्टवेयर पूर्व से इंस्टॉल किए गए हैं लेकिन इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर पुराने हो चुके हैं जिस कारण यह ठीक से काम नहीं कर पाएंगे इसलिए इनको लैपटॉप से हटाना होगा और उनके स्थान पर नए अपग्रेडेड सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने होंगे। नई सॉफ्टवेयर आपको नोडल अधिकारी के कार्यालय से ई-मेल ua.elementary@yahoo.in द्वारा प्राप्त हो सकते हैं नए  सॉफ्टवेयर के लिए आप इस ब्लॉग के अंत में कमेंट में अपना ईमेल ऐड्रेस लिखकर सॉफ्टवेयर के लिए मांग  कर सकते हैं। साथ ही आपको नोडल कार्यालय से क्रेडेंशियल डिटेल ईमेल द्वारा प्राप्त करनी होंगी. अधिकतर आधार नामांकन केंद्र के ऑपरेटर और सुपरवाइजर द्वारा उपलब्ध करवाए गए ईमेल पर यह विवरण पूर्व में प्रेषित किया जा चुका है. ध्यान रहे की मेल से प्राप्त Credential Detail ईमेल से भेजी जा रही है. बड़े साइज की फ़ाइल होने के कारण इन्हें कम्प्रेस किया गया है. इन्हें आपके सिस्टम में इंस्टाल करने के लिए खोलते समय आपको WinRAR नामक सोफ्टवेयर की जरूरत पड़ेगी.  इसलिए आपको WinRAR डाउनलोड करना होगा. WinRar डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें.
3- इसके बाद आपको अब आधार केंद्र श्री ऑपरेटर अथवा सुपरवाइजर के रूप में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के साथ ऑनबोर्ड होना है और यह प्रक्रिया इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन होनी है इसके लिए सबसे पहले आप आपको उपलब्ध कराए गए लैपटॉप पर एनीडेस्क नामक सॉफ्टवेयर को डाउनलोड कर ले इस सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं AnyDesk यहाँ से डाउनलोड करें   इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के विशेषज्ञ आपके सिस्टम को कंट्रोल पर लेंगे और आपका लैपटॉप का नियंत्रण कुछ देर के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की कार्यालय के तकनीकी विशेषज्ञ के हाथों में होगा तकनीकी विशेषज्ञ आपके लैपटॉप पर आधार संबंधी समस्त सॉफ्टवेयर को अपलोड और इंस्टॉल करेंगे साथ ही आपके ऑनबोर्ड की प्रक्रिया आरंभ करेंगे
4- ऑन बोर्ड की प्रक्रिया से पूर्व आप सुनिश्चिित हो लें की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा आपको ऑनलाइन होने पर कुछ जानकारियां ली जाएंगी। सुविधा  इन जानकारियों को अपने डेस्कटॉप/ लेपटॉप पर रखा जा सकता है.भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) यह जानकारियां इस प्रकार है-
आधार एजेंसी का नाम-
 इनरोलमेंट एजेंसी का कोड नंबर -----------0873
 मशीन आईडी और पासवर्ड
 सुपरवाइजर अथवा ऑपरेटर आईडी--------
 आधार केंद्र क्रमांक---------------
 आधार केंद्र का पिन कोड सहित पूरा पता-------------
 आधार कार्ड के अनुरूप आपका नाम----------------
  मोबाइल नंबर  और ईमेल -------------------
5- अब आप ऑनबोर्ड होने के लिए भारतीीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण  के रीजनल ऑफिस  दिल्ली  के टेलीफोन नंबर 01123481127  पर  कॉल करें  और  आधार केंद्र व ऑपरेटर  को  ऑनबोर्ड करवाने के लिए  अनुरोध करें। ध्यान रहे  ऑनबोर्ड होने के दौरान  इस प्रक्रिया में इंटरनेट और विद्युत आपूर्ति  में  किसी प्रकार की  बाधा न पहुंचे आपकेे द्वारा ऊपर दिए गए सुझाव के अनुरूप लैपटॉप पर इंस्टॉल किए गए AnyDesk  नामक सॉफ्टवेयर की सहायता से यूआईडीएआई के विशेषज्ञ आपके लैपटॉप को अपनी नियंत्रण में लेकर उस पर आधार नामांकन संबंधी सॉफ्टवेयर अद्यतन करेंगे साथ ही आपकी बायोमैट्रिक्स जानकारी प्राप्त कर आप को ऑनबोर्ड  करेंगे। इस दौरान लैपटॉप के साथ आपको फिंगरप्रिंट स्केनर और आइरिस स्कैनर को यूएसबी पोर्ट के माध्यम से जोड़ कर रखना है. फिंगरप्रिंट का नमूना देने से पहले  स्केनर के ऊपर लगी प्लास्टिक की सीट को हटाना न भूले।


Charges for Various Aadhaar Services Charges for Various UIDAI Services at Aadhaar Kendra (PEC) [360 KB]

If you are charged more than nominal charge mentioned above than please call 1947 and lodge a complaint.

जारी है......



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Tuesday, 2 October 2018

"स्वच्छता ही सेवा" कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं में जाखणीधार प्रथम.

                                                                                लेख व फोटोग्राफ- सुशील डोभाल-
कुमारी आस्था पेटवल को पुरस्कृत करते हुए सीईओ टिहरी
 "स्वच्छता ही सेवा" कार्यक्रम केअंतर्गत प्रताप इंटर कालेज नई टिहरी में आज जनपद टिहरी गढ़वाल के विभिन्न विकासखंडो से चयनित होकर आये  जनपदीय प्रतियोगिता में शामिल दर्जनों छात्र छात्राओं ने भाषण, चित्रकला और निबंध प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री दिनेश चन्द्र गौड़ ने स्वच्छता को जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी बताते हुए कहा की “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मानसिकता का विकास होता है”साफ-सफाई एक अच्छी आदत है, स्वच्छ पर्यावरण और आदर्श जीवन शैली के लिये हर एक को यह आदत बनानी चाहिये। कार्यक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक श्री सुदर्शन सिंह बिष्ट ने छात्रों को समाज के हर एक इन्शान को स्वच्छता के लिए प्रेरित करने का आवाहन किया. प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों को अधिकारियों ने इस मौके पर पुरष्कृत किया. 
मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी प्रा.शी एवं खंड शिक्षा अधिकारी
प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर मुख्य शिक्षा अधिकारी ने दिया प्रमाण पत्र
        महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है।” जिसके तहत 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) तक देश भर में एक विशेष स्वच्छता अभियान का आगाज किया गया, जिसे पीएम मोदी ने ‘स्वच्छता ही सेवा’ (क्लीनीनेस इज़ सर्विस) नाम दिया है।  इसी के मद्देनजर देश में स्वच्छता  ही सेवा कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं. जनपद तिहारी गढ़वाल के अंतर्गत राजकीय प्रताप इंटर कालेज नई टिहरी में संपन्न हुए भाषण, चित्रकला और निबंध प्रतियोगिता में विभिन्न विकासखण्डों से चयनित होकर जनपद में पहुंचे प्रतिभागियों ने इन प्रतियोगिताएं में अपना हुनर दिखाया. मुख्य शिक्षा अधिकारी डी.सी. गौड़ और जिला शिक्षा अधिकारी एस.एस.बिष्ट ने कुछ विकासखण्डों से छात्रों को प्रतिभाग न करवाए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है.

         मुख्य शिक्षा अधिकारी ने कहाँ है की स्वच्छता की आवश्यकता को देखते हुए हमारे प्रधानमंत्री जी ने  स्वच्छता अभियान शुरु किया। हमें ये समझना चाहिये कि ये केवल हमारे प्रधानमंत्री का कार्य नहीं है, बल्कि समाज में रहने वाले हर इंसान की जिम्मेदारी है। हम सब के स्वस्थ जीवन के लिये इस अभियान में हमें कंधे से कन्धा मिलकर भाग लेना चाहिये। इसकी शुरुआत घरों, स्कूलों, कालेजों, समुदायों, कार्यालयों, संस्थानों से हो जिससे कि देश में व्यापक स्तर पर स्वच्छ भारत क्रांति हो। हमें खुद को, घर, अपने आसपास, समाज, समुदाय, शहर, उद्यान और पर्यावरण आदि को रोज स्वच्छ रखने की जरुरत है। इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी जाखणीधार श्री धनबीर सिंह कहा की विद्यार्थियों के लिए स्वच्छता अत्यंत उपयोगिता रखती है. स्वच्छतायुक्त  वातावरण में ही शिक्षण और अध्ययन की सार्थकता है. प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग निबंध प्रतियोगिता में रा.इ.का. बडकोट से कुमारी नेहा प्रथम, जखणड से अंकित द्वितीय, भाषण में रा.इ.का.जाखणीधार से कुमारी अर्चना रतूरी प्रथम, सुभाष इंटर कालेज थौलधार से अनिल तृतीय तथा चित्रकला प्रतियोगिता में  रा.इ.का.जाखणीधार से हृतिक द्वितीय स्थान प्राप्त किया.  निबंध प्रतियोगिता प्राथमिक वर्ग में प्रिया, सोनिया, उच्च प्राथमिक वर्ग में शिखा पुंडीर, लताशा नेगी, माध्यमिक वर्ग में नेहा शाह, अंकित, कला पोस्टर प्रतियोगिता में देवपाल सिंह, प्रिंस चौहान, सत्यम यादव, शीतल, अभिषेक पुंडीर, ऋतिक सेमवाल, भाषण प्रतियोगिता में प्रिया, सोनिया, पंकज नेगी, अनुराग, अर्चना, अंकित ने अपने-अपने वर्ग में क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया। चयनित प्रतिभागियों को अधिकारियों द्वारा पुरस्कृत किया गया.
      मौके पर रापीआईसी प्रधानाचार्य सुरेश कुमार उनियाल, प्रभारी प्राचार्य डायट एके सिंह, डॉ. ज्ञान प्रकाश सिलस्वाल, रामगोपाल गंगवार, राजकीय शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष जाखणीधार दिनेश प्रसाद डंगवाल, इन्सपायर अवार्ड कोर्डिनेटर सुशील डोभाल, स्पोर्स कोर्डनेटर दिनेश रावत, डायट टिहरी से र्डॉ.वीर सिह रावत, मनवीर नेगी, दीपक रतूड़ी, मनोहर चमोली, विरेंद्र राणा, राकेश कुमार, सुरेंद्र नेगी, योगेन्द्र चौधरी, खलिद नसीब, इंद्रदेव बहुगुणा, चंदन सिंह रावत, जगदीश डोभाल, कुसुम लता, रविन्द्र मोहन डोभाल, अर्चना, ओमप्रकाश वर्मा, अर्चना जुयाल, महावीर डंगवाल, एनके गुप्ता, अर्चना उनियाल, विपिन घिल्डियाल, विजय कैंतुरा, स्मिता, आनंद मणी पैन्यूली, मदन सेमवाल आरती बिष्ट, मनोज असवाल आदि उपस्थित थे।

बीईओ श्री धनबीर सिंह छात्र को पुरस्कृत करते हुए
प्रवक्ता डॉ. बीर सिंह रावत छात्रा को पुरस्कृत करते हुए


Monday, 1 October 2018

राज्य आंदोलनकारी कौन नही है?

सुशील डोभाल, नई टिहरी उत्तराखंड.

        देश और दुनिया मे आज के दिन सत्य, अहिंसा और प्रेम के मसीहा व आजादी के महानायक महात्मा गांधी की जयंती हर्सोल्लास के साथ मनाई जाती है लेकिन पिछले कई वर्षों से मेरे मन मे आज के ही दिन उत्तराखंड के शांत स्वभाव के बेगुनाह आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर में हुई पुलिस बर्बरता की यादें ताजा हो जाती है और लगता है कि गांधी जी के विचारों का इस दिन खूब मखोल उड़ाया गया। रामपुर तिराहे पर अपनी शहादत देने वाले उत्तराखंड के अमर वलिदानियों को श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ।
       करीब चार वर्ष पूर्व उत्तराखंड विधान सभा में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को राजकीय सेवा में 10 फ़ीसदी आरक्षण के बिल के तत्कालीन विपक्ष जो अब सत्ता पक्ष भी है, के द्वारा विरोध से मैं सहमत हूँ। उस समय विपक्ष और सत्ता पक्ष के कई विधायक उत्तराखंड में वर्ष 2000 से पहले के मूलनिवासियों को भी आंदोलनकारी घोषित करने की मांग कर रहे थे। मुद्दा जायज ही नही तर्कसंगत भी है।  चिन्हीकरण की प्रक्रिया में भी संशोधन किया जाना जरूरी है क्योंकि आन्दोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया तमाम दोषों से युक्त है। मेरा मानना है की राज्य आन्दोलनकारी तो उत्तराखंड का आम जनमानस था। 1994 में आन्दोलन के चलते साल के अधिकतर महीनों में जो छात्र स्कूलो में पढ़ने लिखने के बजाय सडको पर मशालें ले कर झुलूस निकाल रहे थे और जिनतक एलआईयू, पुलिस और प्रशासन की नजर नहीं गयी क्या वे छात्र छात्रा, शिक्षक और अन्य लोग आन्दोलनकारी नहीं थे? पहाड़ के युवा बुजुर्ग और माताये बहिने कोन आन्दोलनकारी नहीं है? क्या पहाड़ के वह प्रवासी लोग आंदोलनकारी नहीं थे जिन्होंने आजीविका के लिए पहाड़ से बाहर रहते हुए देश और दुनिया के कोने कोने पर राज्य निर्माण आंदोलन के लिए किसी न किसी रूप में अपना योगदान दिया था? क्या यह मानक व्यवहारिक हैं की आन्दोलनकारी केवल उन्ही को माना गया है जो लोग सरकारी सम्पति को क्षति पहुचने में दोषी पाए गए या उपद्रव करने के कारण जेल गए?  पत्रकारों और खासकर युवा पत्रकारों ने अपनी लेखनी से आन्दोलन को धार दी थी लेकिन सरकारी मान्यता के लालच और पुलिस प्रशासन और एलआईयू की गिद्ध दृष्टि से बचने के लिए वह खुले मंचो पर इसलिए नहीं आये क्यूंकि ऐसे करने पर उनकी गोपनीय आख्या इस प्रकार बनायीं जाती की उन्हें मान्यता प्राप्त पत्रकार होने का सम्मान कभी न मिल पाता।  दरअसल यह छात्रों का ही आंदोलन था। लेकिन अपने कैरियर को पुलिस प्रशासन और एलआईयू की गिद्ध दृष्टि से बचाने के लिए कतिपय छात्रों को छोड़कर अधिकतर सरकारी एजेंसियों की नजरों में आये ही नही। असली आंदोलनकारी हासिये पर रह गए और  अनेक ऐसे लोगो को आंदोलनकारी घोषित कर दिया गया जिनका आंदोलन से कोई विशेष सम्बन्ध ही न था। जो भी हो " राज्य आन्दोलनकारी" शब्द की पुनर्समीक्षा होनी ही चाहिए।
क्या हुआ था 2 अक्तूबर, 1994 को  
1. एक अक्टूबर 1994 की रात से दो अक्टूबर की सुबह तक आंदोलनकारियों पर पुलिस का लाठीचार्ज और गोलियां बरसीं।
2. पुलिस ने करीब चार सौ उत्तराखंडी गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिए।
3. गांधी जयंती पर सुबह पुलिस की फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की मौत हुई।
4.  पुलिस ने लाठीचार्ज और फायरिंग के दौरान खेतों में भाग रही महिलाओं की अस्मत से खिलवाड़ किया। सीबीआई ने जांच में इस बात की पुष्टि हुई। ऐसे दो मामले कोर्ट में चल रहे हैं।  
      रामपुर तिराहाकांड को हुए 24 साल हो गये, लेकिन सीबीआई जैसी एजेंसी 24 साल बाद भी जांच को अंजाम तक नहीं पहुंचा पायी। यह आज चिंता का विषय है। तत्कालीन मुलायम सरकार में रामपुर तिराहाकांड की घटना को झुठलाने का प्रयास किया गया, वहीं सबूतों को मिटाने और गवाहों को रास्ते से हटाने का काम किया गया। 
महात्मा गाँधी की जयंती के दिन यूपी पुलिस ढाया था कहर 
2 अक्तूबर 1994 को मुज्जफर नगर में दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर यूपी पुलिस ने कहर ढाया था. मानवता को शर्मसार कर देने वाले इस कांड में 28 लोगों की मौत, 7 महिलाओं का गैंग रेप व 17 महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामले सामने आए थे. मुजफ्फर नगर के तत्कालीन जिला अधिकारी अनंत कुमार के आदेश पर पुलिस ने यह कार्रवाई की थी. अधिवक्ता रमन साह के अनुसार सीबीआई ने 22 अप्रैल 1996 को अनंत कुमार के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी.इसमें आईपीसी की 307,324,326/34 के तहत दोषी करार दिया था.लेकिन निचली अदालत ने इसमें धारा 302 भी जोड़ दी थी. अनंत कुमार ने इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने सीबीआई की कार्रवाई को निरस्त कर याचिका को निस्तारित कर दिया.प्रदेश सरकार व राज्य आंदोलनकारियों ने अदालत के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी. इस पर अगस्त 2003 में अदालत ने मामले को निरस्त करने के आदेश वापस ले लिए थे. हालांकि मामले की सुनवाई दूसरी बैंच को स्थानांतरित कर दी थी.मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने क्षेत्राधिकार के अधीन नहीं होने का आधार लेते हुए 28 मई 2004 को अनंत कुमार इस याचिका को खारिज कर दिया था. नियमानुसार तब से निचली अदालत में इस पर विचार किया जाना चाहिए था, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा.
गायब हो गया रिकार्ड 
 याची रमन कुमार साह ने सीबीआई देहारादून की अदालत में 22 अप्रैल 1996 की नकल लेने के लिए आदेवन किया. दफ्तर के प्रशासनिक अधिकारी ने उन्हें इस संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं होने की लिखित जानकारी दी है. इस पर एकलपीठ ने देहरादून के जिला जज से ब्यौरा मांगा.वहीं प्रदेश सरकार,सीबीआई व संबंधित प्रशासनिक अधिकारी को जवाब के लिए नोटिस जारी किया है. मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

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