जनपद स्तरीय इंस्पायर अवॉर्ड मॉडल प्रदर्शनी व प्रतियोगिता राजकीय इंटर कॉलेज नरेंद्र नगर में आज संपन्न हुई. दिनांक 30 जनवरी से 4 फरवरी तक विभिन्न चरणों में आयोजित इस प्रतियोगिता में जनपद के सभी विकासखंडों के कुल 881 अवॉर्डी प्रतिभागी शामिल हुए. इस अवसर पर निर्णायकों द्वारा कुल 76 बाल वैज्ञानिकों के मॉडल्स का राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयन किया गया. जनपद के यह बाल वैज्ञानिक अब राज्य स्तरीय स्पर्धा में अपना जलवा दिखाएंगे।
इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी डीसी गौड़ एवं जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक एस पी सेमवाल ने बाल वैज्ञानिको और मार्गदर्शक शिक्षकों को विज्ञान के आविष्कारों से संबंधित अनेक प्रेरक प्रसंग सुनाये। जिला शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल ने माइकल फैराडे के योगदान पर रोचक ढंग से प्रतिभागियों को सम्बोधित किया। उनके सम्बोधन के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं.
22 सितम्बर 1791 के दिन माइकल फैराडे Michael Faraday का जन्म इंग्लैंड में हुआ। एक गरीब लुहार के बेटे माइकल फैराडे की बचपन से ही भौतिकी और रसायन की किताबें पढने में रुचि थी। फैराडे ने शुरुआती जीवन में लन्दन में जिल्दसाज की नौकरी वर्ष 1813 में माइकल फैराडे का परिचय प्रसिद्ध रसायनज्ञ 'सर हम्फ्री डेवी' (Sir Humphry Davy) से तब हुआ जब हम्फ्री डेवी के व्याख्यानों पर माइकल फैराडे ने टिप्पणी की थी।जिससे प्रभावित होकर हम्फ्री डेवी ने फैराडे को अपना प्रयोगशाला सहायक बना लियाथा।वर्ष 1820 में हैंड्स ओर्स्टेड ने अपनी खोज में बताया कि विद्युत धारा से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जा सकता है।उनकी इस खोज से माइकल फैराडे (Michael Faraday) को विचार आया कि यदि विद्युत धारा के प्रवाह से चुम्बकीय प्रभाव पैदा हो सकता है तो चुम्बकीय प्रभाव से विद्युत धारा को भी उत्पन्न कर सकते है। वर्ष 1831 में माइकल फैराडे (Michael Faraday) ने ‘विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत’ की महत्वपूर्ण खोज की। चुम्बकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत-वाहक-बल उत्पन्न किया। इसी सिद्धांत पर आने वाले समय में जनित्र (Generator) बना था।आज विश्व में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सिद्धांत के आधार पर ही बिजली का उत्पादन हो रहा है।ट्रांसफार्मर (Transformer) माइकल फैराडे के सिद्धांत पर कार्य करता है।इसके अनुसार जब तारों की दो कुंडलियों को पास में रखकर किसी एक कुंडली (Coil) में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसमे उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के कारण दूसरी कुंडली में भी विद्युत धारा प्रवाहित होगी। माइकल फैराडे Michael Faraday ने अपने प्रयोगों से बताया कि सभी तरह की विद्युत धारा की प्रवर्ती एक जैसी होती है, केवल उनकी तीव्रता अलग-अलग होती है। इस आधार पर ही माइकल फैराडे ने डायनेमो का आविष्कार किया था।माइकल फैराडे (Michael Faraday) के नाम पर दो विद्युत इकाईयां हैं। जिनमे एक है फैराडे, जो विद्युत धारा मापन में काम आती है और दूसरी इकाई फैराड है, जिससे किसी भी संधारित्र (Capacitor) की धारिता मापी जाती है। रसायन विज्ञान में बेंजीन की खोज भी माइकल फैराडे ने की थी और क्लोरिन गैस का द्रवीकरण करने में भी सफल हुए। माइकल फैराडे Michael Faraday ने विद्युत पर कार्य करके विद्युतविश्लेषण के नियमों का प्रतिपादन किया जिन्हें ‘फैराडे के नियम’ (Law's Of Faraday) कहते हैं। माइकल फैराडे ने दुनिया में सबसे पहले मोटर की कल्पना की और एक प्रयोग में विद्युत से एक छड को विद्युत धारा से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जो फैराडे की पहली खोज थी। Michael Faraday की सबसे उपयोगी पुस्तक “विद्युत में प्रायोगिक गवेषणाएँ” (Experimental Researches In Electricity) है। महान वैज्ञानिक माइकल फैराडे की मृत्यु 25 अगस्त 1867 में हुई थी।
कार्यक्रम की कुछ झलकियां
सराहनीय प्रयास।
ReplyDeleteभविष्य के सभी वैज्ञानिकों को बधाई। ऐसे कार्यक्रम बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तैयार करने में सहायक सावित होते हैं। आयोजको का प्रयास भी प्रशंसनीय है। एक कमी की ओर ध्यान ले जाना चाहूंगा, यहां पहुंचे बच्चों में स्कूल बैग व टोपी बांटने में पक्षपात हुआ है। अंतिम दिन सबको स्कूल बैग व टोपियां बांटी गई जबकि शुरुआती पाँच दिनों प्रतिभाग करने वालो को कुछ नही दिया। अधिकतर चयनित भी एक ही विकासखण्ड से होना ठीक नही।
ReplyDeleteसभी बाल वैज्ञानिक और उनके मार्गदर्शक अध्यापकों को बधाई। बच्चो में विज्ञान के प्रति रुचि जगाने में इंस्पायर्ड अवार्ड मानक का योगदान महत्वपूर्ण है। प्रदर्शनी में बच्चो का उत्साह देख कर सुखद अनुभूति हो रही थी। परंतु कुछ बातों से मन काफी दुखी हुआ है। पहले दिन ही सभी बाल वैज्ञानिकों को टोपी नही मिली। कुछ बच्चो को टोपी पहना देख कर अन्य बच्चो के अंदर निराशा के भाव दिख रहे थे। इसी तरह अंतिम दिन सम्मिलित हुए अध्यापकों को बैग वितरित किये गए बाकी पांच दिन सम्मिलित हुए अध्यापकों को नही दिए गए। इस तरह के राष्ट्रीय कार्यक्रम में इस प्रकार का भेदभाव देख कर मन बहुत व्यथित है। बेहतर होता कि रजिस्ट्रेशन काउंटर से ही प्रत्येक प्रतिभागी व मार्गदर्शक को टोपी और स्कूल बैग व भोजन के कूपन वितरित किये जाते।अधिकतर शिक्षकों को टीए फार्म ही उपलव्ध नही करवाये गए। साथ ही अनेक उपयोगी और विज्ञान के अनुसंधानात्मक मॉडलों के स्थान पर पारंपरिक मॉडल्स का राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हो जाना और आयोजक ब्लॉक नरेंद्रनगर के ही अधिकतर विद्यार्थियों को चयनित घोषित करना हैरान करता है। उम्मीद करती हूं कि आगे से इस प्रकार की अव्यवस्था न हो इसके लिए जनपदीय आयोजन समिति पुख्ता प्रबंध करेगी।
ReplyDeleteआपने बिल्कुल ठीक कहा। बच्चों में भेद भाव नही होना चाहिए
Deleteमीनाक्षी जी एवं संजीव जी द्वारा कही गई बातें बिल्कुल सही है अगर सीईओ सर द्वारा इन कमेंट को संज्ञान में लेकर संबंधित कार्यक्रम के व्यवस्थापक एवं जिला समन्वयक को उक्त अनियमितताओं को सुधारने हेतु निर्देशित किया जाता तो यह एक उत्साहजनक पहल होती....
ReplyDeleteRight sir
DeleteTeachers ko certificate nahi mile.
Deleteचयनित बालकों और उनके गुरुजनों को बधाइयाँ।
ReplyDeleteकार्यक्रम की भव्यता को देखते हुए छोटी छोटी कमियों को अनदेखा करना चाहिए। कमजोर पक्ष के बजाय मजबूत और बेहतर पक्ष को भी देखना चाहिए और जो अच्छा है उसकी प्रशंसा भी की जानी चाहिए।
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