Friday 31 May 2019

अगर बोर्ड परीक्षा में हुए हैं फेल, तो निराश न हों, पास होने का अभी है मौका।

बोर्ड परीक्षा में कम अंक या फेल होने वाले छात्रों को निराश होने की जरूरत नहीं है। उनके लिए अभी भी मौका है। जिससे वह साल बर्बाद होने से बच सकते हैं। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) में दाखिला प्रक्रिया 30 जून तक खुली हुई है। एनआइओएस के क्षेत्रीय निदेशक (देहरादून उत्तराखंड) सुशील कुमार तंवर ने बताया कि ऐसे विद्यार्थी जो बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए हैं, वे विकल्प के तौर पर एनआइओएस की स्ट्रीम-2 का लाभ ले सकते है

बोर्ड परीक्षा में अनुत्तीर्ण परीक्षार्थी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान से इसी वर्ष परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए यहां क्लिक कर ऑनलाइन आवेदन करे। 



Thursday 30 May 2019

बोर्ड परिक्षफल से विधार्थियों में खुशी की लहर, टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी ने दी बधाइयाँ।

      विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर उत्तराखंड द्वारा हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का परीक्षाफल घोषित होने पर परीक्षाफल देखते ही बोर्ड परीक्षार्थियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। विद्यार्थियों ने अपने माता-पिता और गुरुजनों के साथ खुशी के लम्हो को सांझा किया। मुख्य शिक्षा अधिकारी दिनेश चंद्र गौड़ ने परीक्षा में बेहतर अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए छात्र छात्राओं को बधाइयाँ देते हुए उन्हें जीवन मे हमेशा कठोर परिश्रम और ईमानदारी के साथ बुलंदियों को छूने का आवाहन किया। उन्होंने शतप्रतिशत परीक्षाफल देने वाले विद्यालयों के संस्थाध्यक्षों और विषयाध्यापकों को भी बधाइयाँ दी है। 
          जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) एस पी सेमवाल ने एक तरफ जहां पास होने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई दी, वहीं परीक्षा में कुछ असफल विद्यार्थियों का मनोबल भी बढ़ाया। उन्होंने कहा कि किसी कारण से जो बच्चे पास नहीं हो पाए या जो अपेक्षित अंक नहीं पा सके, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनको ज्यादा तैयारी से आगे की परीक्षा देनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि कोई भी परीक्षा जिंदगी की आखिरी परीक्षा नहीं होती। आगे अनेक ऐसे अवसर मिलते हैं, जब आप स्वयं को साबित कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि जो पतिक्षार्थी अपने प्राप्तांको से संतुष्ट नही है वे 30 जून से पूर्व पंजीकृत डाक से सन्निरीक्षा आवेदन पत्र बोर्ड कार्यालय रामनगर भेज सकते हैं।
        विकासखंड जाखणीधार के खंड शिक्षा अधिकारी धनबीर सिंह ने जाखणीधार विकासखंड के अंतर्गत समस्त शासकीय, अशासकीय व निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों, अभिभावकों, संस्थाध्यक्षो और विशेषरूप से विषयाध्यापकों को बधाई दी हैं। उन्होंने कहा कि दुर्गम क्षेत्र के विधालयों के विद्यार्थी तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी अच्छे अंक प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने विषयाध्यापकों और विद्यार्थियों को वर्ष 2020 को बोर्ड परीक्षा के लिए अधिक ऊंचा लक्ष्य निर्धारित करने का आवाहन किया है।
       राजीकीय शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश प्रसाद डंगवाल, राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार के प्रधानाचार्य महावीर सिंह परमार, राइका कपरैनीसैण के प्रधानाचार्य एसबी यादव, राइका राधूधार के प्रधानाचार्य गीताराम डंगवाल और राइका मंदार के प्रधानाचार्य राज्यपाल सिंह परमार सहित "हिमवंत" के संपादक सुशील डोभाल ने भी सफल हुए बोर्ड परीक्षार्थियों और विषयाध्यापकों को बधाइयाँ दी है।




परिक्षफल

Tuesday 28 May 2019

बच्चों के लिए खतरनाक है मोबाइल फोन, WHO ने जारी की चेतावनी

       
         आज के दौर में इलैक्ट्रोनिक डिवाइसेस हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई हैं. फिर चाहे वे पेरेंट्स हों या बच्चे. बच्चों को व्यस्त रखने के लिए माता-पिता अकसर उनके हाथ में फोन थमा देते हैं या फिर उन्हे टीवी के सामने बैठा देते हैं. ऐसे में कई बार माता-पिता इस बात का ध्यान तक नहीं देते कि बच्चा क्या देख रहा है और कितनी देर से स्क्रीन के सामने है. शहरी जीवन शैली में बच्चों का खेल-कूद, भाग-दौड़ कम होती जा रही है. बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय घर की चारदिवारी के अंदर इलैक्ट्रोनिक गैजेट्स के साथ बिताते हैं. इसका प्रभाव लंबे समय के बाद देखने को मिलता है.  
     .   फ़ाज़िया बताती हैं कि जब घर में मेहमान आते हैं या जब वह काम में बहुत ज्यादा व्यस्त रहती हैं तब वे राबिया को फोन में कार्टून लगा कर दे देती हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में वह ज्यादा समय के लिए राबिया को फोन दे देती थीं, लेकिन जब उन्होंने देखा कि राबिया बिना फोन के खाना नहीं खा रही है. तो उन्होंने धीरे-धीरे उसके स्क्रीन टाइम को कम कर दिया. वह कोशिश करती हैं कि राबिया को स्क्रीन से ज्यादा समय प्लेग्राउंड में बिताए. उनका कहना है कि आज के समय में बच्चों को पूरी तरह से मोबाइल फोन से दूर नहीं रखा जा सकता. लेकिन अगर बच्चों को फोन से दूर करना है तो उसके लिए पेरेंट्स को बच्चों को दूसरे खेलों में व्यस्त रखना चाहिए. 2 साल की राबिया को कार्टून देखना पसंद है, चाहे वह किसी भी भाषा में हो. राबिया की मां फौज़िया बताती हैं कि राबिया हिन्दी, इंगलिश और स्पैनिश के कार्टून देखती है और उसी भाषा में बात करने की कोशिश करती है. वह दिन में 2 से 3 घण्टे स्क्रीन के सामने रहती है.
बच्चों के लिए खतरनाक है मोबाइल, WHO ने जारी की चेतावनी।
विश्व स्वास्थ संगठन यानी WHO ने हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम निर्धारित कर दिया है. अब तक लोगों का सिर्फ ये मानना था कि स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से आंखें खराब होती हैं लेकन, डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट के मुताबिक, इसके परिणाम ज्यादा खतरनाक हैं. 5 साल से कम उम्र के बच्चों का निर्धारित समय से ज्यादा स्क्रीन टाइम उनके शारिरिक और मानसिक विकास पर सीधा असर डालता है. इस रिपोर्ट के जरिए WHO ने माता-पिता या अभिभावक को बच्चों को मोबाइल फोन, टीवी स्क्रीन, लैपटॉप और अन्य इलैक्ट्रोनिक उपकरणों से दूर रखने की हिदायत दी है.
WHO की गाइडलाइन-
1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए :
एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जीरो स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है. यानी उन्हें बिलकुल भी स्क्रीन के सामने नहीं रखना है. इसके अलावा उन्हें दिन में आधा घण्टे पेट के बल लिटाना चाहिए. फर्श पर तरह-तरह के खेल खिलाना भी बच्चे के शारिरिक विकास के लिए बेहतर है. 
1 से 2 साल के बच्चों के लिए :
 इस उम्र के बच्चों के लिए दिनभर में स्क्रीन टाइम 1 घण्टे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही 3 घण्टे फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह दी गई है. इस उम्र में बच्चों को कहानी सुनाना उनके मानसिक विकास के लिए फाएदेमंद साबित होगा. 
3 से 4 साल तक के बच्चों के लिए :
3 से 4 साल की उम्र के बच्चों के लिए भी दिनभर में ज्यादा से ज्यादा समय 1 घण्टा निर्घारित किया गया है. लेकिन इनको 2 से 3 साल के बच्चों के मुकाबले ज्यादा फिजिकल एक्टिविटीस करने की सलाह दी गई है.
डॉक्टर भी सही मानते हैं WHO की गाइडलाइंस
मैक्स अस्पताल के मेन्टल हेल्थ एंड बिहेविरल सांइस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ समीर मल्होत्रा बताते हैं कि बच्चों के मानसिक और शारिरिक विकास के लिए बातचीत बहुत जरुरी है. 5 साल से कम उम्र के बच्चों कॉगनिटिव स्किल विकसित नहीं हो पाती है. इसका मतलब ये है कि बच्चे सही और गलत में फर्क नहीं कर सकते. वे जो देखते हैं वही सीखते हैं. कई बार देखा गया है कि बच्चे कार्टून की तरह ही बोलने की कोशिश करते हैं. कई पेरेंट्स ये शिकायत लेकर भी आते हैं कि बच्चे बहुत ज्यादा एग्रेसिव हो रहे हैं. अकसर पेरेंट्स बच्चों को खाना खिलाने के लिए भी टीवी के सामने बैठा देते हैं या फिर फोन में कुछ न कुछ लगा कर दे देते हैं. ये बहुत ही गलत प्रेक्टिस है. ऐसे में बच्चों का ध्यान बट जाता है और वे भूख से ज्यादा खाना खा लेते हैं. इस उम्र में बच्चों की इमेजिनेशन तेज होती है. इसलिए पहले लोग बच्चों को कहानियां सुनाया करते थे. लेकिन अब पेरेंट्स कहानियां सुनाने की बजाय बच्चों को फोन पकड़ा देते हैं.
(पीयूष शर्मा की रिपोर्ट)

Sunday 26 May 2019

कैरियर निर्माण के लिए राइका गरखेत, टिहरी गढ़वाल में की गई काउंसलिंग

        यदि लक्ष्य को भेदना हो तो अर्जुन याद आते हैं,जिन्हें चिड़िया की आंख के सिवा कुछ नज़र नहीं आया. औऱ जब बात आयी, मछली की आंख भेदने की, तो घूमती हुई मछली का  प्रतिबिंब पानी मे देखकर ही लक्ष्य को भेद डाला. इसी उदाहरण से अपने प्रभावशाली व्याख्यान का शुभारंभ किया आज की मुख्य अतिथि वक्ता, इनर व्हील संस्था, ऋषिकेश की सदस्या एवं नवजीवनम कायाकल्प मेडिकल इंस्टीटूट, ऋषिकेश की मैनेजिंग डायरेक्टर, डॉ निवेदिता श्रीवास्तव(हरबोलोजिस्ट व पंचकर्मा विशेषज्ञ) ने, अवसर था बोर्ड परीक्षार्थियों हेतु आयोजित काउंसलिंग कार्यशाला.
       
कार्यशाला का संचालन करते हुए विद्यालय के गणित विषय के वरिष्ठ प्रवक्ता श्री रामानुज पैन्यूली  ने सभा के अध्यक्ष व प्रधानाचार्य श्री सुनील पँवार  से अनुमति लेकर कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए बच्चों को रिजल्ट आने पर संभावित परिस्थितियों के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की और तनाव से बचने के गुरुमंत्र दिए. साथ ही उन्होंने आगामी कैरियर हेतु नीट व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के बारे भी जानकारी दी. इसके पश्चात जीव विज्ञान प्रवक्ता व कार्यक्रम संयोजक श्री शशिकांत रयाल ने बच्चों को तनावमुक्त रहने हेतु रिलैक्सेशन मैडिटेशन के बारे में बताते हुए 10 मिनट का ध्यान सत्र चलाया. इसके पश्चात उन्होंने एक कहानी के माध्यम से अपनी किसी ख़ासियत को पहचानने व तराशने हेतु सीख दी.
    इसी क्रम में भूगोल प्रवक्ता श्री देश कुमार कल्याण और अर्थशास्त्र प्रवक्ता श्री ओम प्रकाश कोटनाला ने कला विषय में कैरियर की संभावनाओं पर प्रकाश डाला. हिंदी अध्यापिका श्रीमती दीपा मैम ने बच्चों के मन को पढ़ते हुए एक कविता प्रस्तुत की एवं एक अत्यन्त आकर्षक व मेरे जीवन का लक्ष्य  विषय पर विद्यालय की दीवार पत्रिका घुघुती का समसामयिक विशेषांक तैयार कर उसका विमोचन प्रधानाचार्य व अथितियों द्वारा किया गया. 

        इसके बाद कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वक्ता डॉक्टर निवेदिता श्रीवास्तव ने अपने प्रभावशाली एवं प्रेरक वक्तव्य में जैसे जानकारी व प्रेरणा का खज़ाना ही खोल दिया. उन्होंने उत्तराखंड को हर्बल स्टेट के रूप में प्रस्तुत करते हुए औषधीय पादपों(मेडिसिनल हर्ब्स) के उत्पादन व पंचकर्मा में इसके उपयोग, मेडिकल व नर्सिंग में कैरियर की संभावनाओं, तनावमुक्त जीवनशैली के विभिन्न आयामों का खुलासा किया, साथ ही होनहार बालिका कु. आरती को प्रेरणस्वरूप नकद राशि प्रदान की. इनर व्हील संस्था, ऋषिकेश की अध्यक्षा श्रीमती रेखा गर्ग व संस्था की सचिव श्रीमती सलोनी गोयल ने आधुनिक जीवनशैली से पनपते तनाव व उससे बचने के टिप्स दिए. उन्होंने अपनी संस्था की ओर से विद्यालय को एक साउंड सिस्टम व वाटर प्यूरीफायर दानस्वरूप भेंट किया, जिसके लिए प्रधानाचार्य श्री पँवार जी ने समस्त विद्यालय परिवार की ओर से आभार जताया. कार्यक्रम में समस्त स्टाफ की भागीदारी ने चार चांद लगा दिए.

संयोजक व रिपोर्टकर्ता- रयाल शशि, राइका गरखेत जौनपुर, टिहरी गढ़वाल।
       

Saturday 25 May 2019

प्रतिभा दिवस के मौके पर इंटर कॉलेज जाखणीधार के छात्र ने ढोल दमाऊ और जागरों की प्रस्तुति से दिया अपनी पौराणिक संस्कृति के संरक्षण का अनूठा संदेश।

      विकासखंड जाखणीधार के विद्यालयों में आज प्रतिभा दिवस के मौके पर विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया।  इस मौके पर राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार के दो छात्रों द्वारा अपनी संस्कृत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ढोल-दमाऊ वादन और पौराणिक जागरों की शानदार प्रस्तुति से अपनी प्रतिभा से दर्शकों को अचंभित कर दिया।  
विद्यालयी शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड की पहल पर छात्र-छात्राओं के अन्दर छिपी प्रतिभा को तराशने तथा स्कूलों में शैक्षणिक माहौल बनाने के उद्देश्य से आज प्रतिभा दिवस मनाया गया। विद्यालय में आयोजित प्रतिभा दिवस पर स्कूली बच्चों ने जहां लोक भाषा में उत्तराखण्ड की संस्कृति, पलायन तथा पर्यावरण को बचाने के लिए सुन्दर गीतों की प्रस्तुतियां दी। वही अंग्रेजी की कहानियां, कविताएं सुनाकर आपसी संवाद को अंग्रेजी के माध्यम से बढ़ाने का प्रयास किया। कार्यक्रम में विद्यालय में कक्षा 9 व 8 में अध्ययनरत छात्र अमन कुमार व हेमराज (दोनो सगे भाई) ने ढोल व दमाऊ वादन के साथ देवभूमि उत्तराखंड के पौराणिक जागरों के माध्यम से पहाड़ की संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन का अनूठा संदेश देने का प्रयास करते हुए शिक्षकों व साथी विद्यार्थियों का मन मोह लिया। ढोल दमाऊ की मनमोहक थाप पर स्कूली बच्चे काफी देर तक झूमते रहे। उनकी कला और प्रतिभा को देखकर विद्यालय के शिक्षकों से दोनो उनका हौसला बढ़ाते हुए उन्हें नगद ईनाम देकर पुरस्कृत किया।

            इस मौके पर प्रधानाचार्य श्री महावीर सिंह परमार ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को अपने आस-पास प्रकृति में विद्यमान चीजों को गंभीरतापूर्वक देखना चाहिए और उनके प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना चाहिए क्योंकि  इस तरह की वस्तुओं से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष राजकीय शिक्षक संघ श्री दिनेश डंगवाल ने सभी शिक्षकों से आह्वान किया कि छात्रों के सर्वागीण विकास के लिए उन्हें बेहतर शिक्षा एवं मार्ग दर्शन देने का प्रयास करे। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नई टिहरी से बतौर कार्यक्रम के पर्यवेक्षण के लिए पहुंचे प्रवक्ता श्री विनोद पेटवाल ने भी बच्चों को संबोधित करते हुए उनकी प्रतिभाओं को सामने लाने का आवाहन किया। इस मौके पर शिक्षक सुशील डोभाल, चंदन सिंह असवाल, दिनेश रावत, पंकज डंगवाल, संजीव नेगी, डॉ मोहम्मद इलियास, राजेश कुमार उपाध्याय, अरविंद बहुगुणा, लक्ष्मी तनवर, आमू खम्पा, रेखा कंडारी आदि ने स्कूली बच्चों के बीच अपने अनुभव व्यक्त किये।
 
छात्रों द्वारा ढोल-दमाऊ वादन व जागरों के प्रस्तुतीकरण का वीडियो।

Friday 24 May 2019

परीक्षाफल का तनाव दूर करने के लिए इंटर कॉलेज जाखणीधार में बोर्ड परीक्षार्थियों की कॉन्सिलिंग कर दिए अनेक उपयोगी सुझाव।

     उत्तराखंड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षाफल 30 मई को घोषित होने जा रहा है। परीक्षार्थियों में परीक्षाफल का डर व दबाव कम करने के लिए आज राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार टिहरी गढ़वाल में परीक्षार्थियों के लिए कॉन्सिलिंग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शिक्षकों द्वारा छात्रों को दबाव से मुक्त रहने के लिए अनेक उपयोगी सुझाव दिए।
         कॉन्सिलिंग कार्यक्रम में प्रधानाचार्य श्री महावीर सिंह परमार ने कहा कि हर बार यह देखा जाता है परीक्षार्थी परीक्षाफल से निराश होकर मानसिक दबाव में कोई गलत कदम उठा लेते है. विद्यार्थी और अभिभावकों को चाहिए कि परीक्षाफल को लेकर अपने मन में किसी तरह का दबाव नहीं रखें.  यह जरूरी नहीं की हर विद्यार्थी पढ़ाई में टॉपर हो. कई बार ऐसा देखा गया है परीक्षाओं में अच्छे अंक नहीं लाने वाले विद्यार्थी दूसरे क्षेत्रों में अपनी अच्छी पहचान बनाते हैं. इस मौके पर शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष श्री दिनेश प्रसाद डंगवाल ने कहा कि अभिभवकों को चाहिए कि परीक्षा के परिणाम आने के बाद बच्चों पर किसी तरह का प्रेशर नहीं बनाएं. हमेशा देखा जाता है कि कंपटीशन के युग में बच्चे पढ़ाई के दबाव में रहते हैं, अभिभावकों को चाहिए कि बच्चे के तनाव को कम करें. साथ ही बच्चे के दिलचस्पी को समझ उसे उस कार्य में ज्यादा प्रोत्साहित करें. इस मौके पर विद्यालय के शिक्षक दिनेश रावत, संजीव नेगी, पंकज डंगवाल तथा चंदन सिंह असवाल ने भी परीक्षार्थियों को अनेक उपयोगी सुझाव देते हुए परीक्षाफल के लिए शुभकामनाएं दी हैं।
सुशील डोभाल
संपादक की कलम से-
      प्रिय विद्यार्थियों, आशा और निराशा जीवन के दो पहलू हैं। जिस तरह दिन के बाद रात आती है और रात के बाद दिन आता है उसी तरह जीवन में आशा और निराशा का खेल चलता रहता है। सफल होने पर हम सभी आशा से भर जाते हैं परंतु कभी कभी हमारी आशाओं के अनुरूप परिणाम न मिलने या असफलताएं मिलने पर व्यक्ति निराशा से भर जाता है। उसकी सोच भी नकारात्मक हो जाती है और धीरे-धीरे उसका मनोबल भी बैठ जाता है। इस लेख में आपको मै बताने जा रहा हूँ कि किस प्रकार किसी असफलता को सफलता में बदला जा सकता है।
पता करें आपकी निराशा का मुख्य कारण क्या है ?
हर निराश व्यक्ति को यह अवश्य पता करना चाहिए कि उसकी निराशा का मुख्य कारण क्या है। जीवन में व्यक्ति बहुत से अवसर पर निराश हो सकता है। एक परीक्षार्थी परीक्षा में असफल होने पर व एक पढ़ा लिखा व्यक्ति बेरोजगार होने पर निराश हो सकता है। एक दंपति संतान ना होने पर निराश हो सकता है। एक बिजनेसमैन व्यापार में नुकसान होने पर निराश (Disappoint) हो सकता है। एक नेता चुनाव हार कर निराश हो सकता है। इस तरह हर व्यक्ति के जीवन में कोई ना कोई निराशा का कारण स्वाभाविक है। पर इसका मुख्य कारण क्या है यह जानने का प्रयास करें। इस समस्या की जड़ तक पहुंचे और उसका निवारण करें।
1. धैर्य है सफलता की सबसे बड़ी कुंजी।
धैर्य एक ऐसा गुण है जिसे धारण करना बहुत ही आवश्यक है। किसी भी काम को सफलतापूर्वक करने के लिए धैर्य चाहिए। धैर्य धारण करते हुए हमारे क्रांतिकारियों ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाया। जिंदगी में हर परीक्षा धैर्य पर आधारित होती है। एक बालक वर्ष भर धैर्य रखकर पढ़ाई करता है और सफलता में उच्च अंको से उत्तीर्ण होता है। किसी भी काम को करने के लिए धैर्य जरूरी है। जरूरी नही की हर बार हमें सफलता ही मिले, असफलता मिलने पर उसे चुनौती के रूप में स्वीकार करें और धैर्यपूर्वक इस चुनौती का सामना करें। यदि आप थोड़ी असफलता देखकर पूरी तरह निराश हो गए हैं तो यह बिल्कुल भी सही नहीं है। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी धैर्य धारण किया। स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और शांति का मार्ग अपनाया और अंग्रेजों को देश से खदेड़ दिया।  

2. आत्मविश्वास जरूरी है
स्वयं पर विश्वास होना बहुत जरूरी है क्योंकि जीवन में ऐसी बहुत सी कठिनाइयां होती हैं जब लोग आपका साथ नहीं देते हैं। ऐसे में यदि आप स्वयं अपने विचारों और मूल्यों का साथ नहीं देंगे तो आप असफल हो सकते हैं। विपरीत स्थिति होने पर व्यक्ति को स्वयं पर, अपने विचार और मूल्यों पर विश्वास रखना चाहिए। जो लोग आत्मविश्वास से भरे होते हैं वह बड़ी से बड़ी मुसीबत को झेल लेते हैं। अंत में उन्हें विजय प्राप्त होती है।
 3. असफलता ही सफलता का मंत्र है।
जो लोग जीवन में असफल होते हैं वे अपनी कमियों को जान पाते हैं और अगली बार वह सही रणनीति अपनाकर सफल होते हैं। इतिहास में ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते हैं कि बहुत से राजा अनेक युद्ध हार कर दूसरे युद्ध में विजयी हुए। असफलता सबसे बड़ा गुरु होती है। यह बताती है की आपकी तैयारी में कोई कमी रह गयी। उसे पूरा करें।
4. क्या आप सफलता के योग्य हैं खुद से पूछे
बहुत बार यह देखा जाता है कि अयोग्य या कम योग्यता वाले व्यक्ति बहुत ऊँची महत्वाकांक्षा मन में पाल लेते हैं। उदाहरण के लिए एक औसत छात्र यदि आईएस पीसीएस (IAS, PCS) या किसी उच्च बौद्धिक परीक्षा में सफल होने का सपना देखता है तो यह उद्देश्य तो सही है परंतु इस परीक्षा को पास करने की मानसिक योग्यता भी उस व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए। यदि आपने किसी गलत मकसद को चुन लिया है तो आप असफल होंगे और फिर आप निराशा के शिकार बन जायेंगे। इसलिए व्यक्ति को अपना लक्ष्य अपनी मानसिक योग्यता के अनुसार ही चुनना चाहिए।
 5. निराशावादी मित्रों से बचे, आशावादी मित्र बनाइये
किसी भी व्यक्ति के चारों ओर का वातावरण भी उसके व्यक्तित्व में बड़ा योगदान करता है। यदि आप ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जो सदैव निराशा की बात करते हैं तो धीरे-धीरे आप भी क्या सोचने लग जाएंगे कि आप जिंदगी में एक असफल और हारे हुए व्यक्ति हैं और सफल नहीं हो सकते। इस स्थिति में बेहतर होगा कि आप निराशावादी मित्रों से दूर रहें। ऐसे मित्र बनाएं जो आशा से भरे हुए हैं। जो सदैव सकारात्मक बात करते हैं। उस माहौल और वातावरण में आप अपनी मानसिक शक्तियों का भरपूर इस्तेमाल कर सकेंगे और सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
6. ईश्वर पर विश्वास रखें।
   यदि आपने भरपूर प्रयास किया फिर भी आप असफल हुए तो आपको ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए। उसने आपके लिए कुछ दूसरी योजनाएं बनाई होगी। यह भी हो सकता है कि आपका भविष्य किसी और क्षेत्र में हो। किस्मत/ नियति ने कुछ और सोचा हो आपके लिए। इसलिए आपको ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए।
     तो यह थे कुछ सुझाव जो आपको निराशा से बाहर निकलने में हमेशा मदद करेंगे। आपको अगर यह लेख पसंद आया हो तो नीचे कमेंट करे. आपका हर एक कमेंट मेरा उत्साह बढाता है। धन्यवाद।

Monday 20 May 2019

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षाफल हुआ घोषित. "हिमवंत" पर सबसे पहले यहाँ देखें परीक्षाफल.

       
         उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड (UBSE) हाईस्कूल व इंटरमीडियट का रिजल्ट 30 मई को जारी करेगा। बोर्ड ऑफिस में बैठक के बाद सचिव डॉ नीता तिवारी ने तिथि का ऐलान किया। इस बार करीब 2.5 लाख से अधिक छात्रों ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा दी है। उत्तराखंड बोर्ड 10वीं 12वीं रिजल्ट 30 मई को सुबह 10:30 बजे जारी किया जाएगा। UK Board 10th Result 2019: परीक्षा के नतीजे राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार की ई-इत्रिका  "हिमवंत" पर देख सकेंगे।
           उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं एक मार्च से शुरू होकर 26 मार्च तक चली थी। इस बार कक्षा 10 की परीक्षा के लिए 149927 और कक्षा 12 की परीक्षा के लिए 124867 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। रिजल्ट बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट uaresults.nic.in पर चेक किए जा सकेंगे। पिछले वर्ष 10वीं में 74.57 प्रतिशत और 12वीं में 78.9 प्रतिशत स्टूडेंट्स पास हुए थे। 12वीं में लड़कियों ने बाजी मारी थी। लड़कियों का पास प्रतिशत 82.83 फीसदी रहा था जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 75.3 प्रतिशत रहा था। 10वीं में पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत 68.96 और छात्राओं का प्रतिशत 80 रहा था। 12वीं में 98.40 प्रतिशत अंकों के साथ दिव्यांशी राज ने और 10वीं में 98.40 प्रतिशत अंकों के साथ काजल प्रजापति ने टॉप किया था।

 परीक्षाफल देखने के लिए नीचे क्लिक करें।

Saturday 18 May 2019

केंद्रीय विद्यालय शिक्षकों को NPS के तहत ग्रेच्युटी और अन्य लाभ भी हुए बंद।

    केंद्रीय विद्यालय (केवी) संगठन के स्कूलों ने इस साल 2019 सीबीएसई बोर्ड की बारहवीं में सबसे अच्छे परिणाम दिए थे. परिणामों के तत्काल बाद केवीएस में पढ़ा र‍हे एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) धारक शिक्षकों को ग्रेच्युटी और अन्य लाभ बंद कर दिए गए हैं. केवी प्रगतिशील शिक्षक संगठन ने अन्यायपूर्ण निर्णय करार दिया है.
     इस साल केवी के स्कूलों में अब तक के रिकॉर्डतोड़ 98.54 फीसदी छात्र पास हुए थे. जाहिर है अच्छे परिणामों के पीछे केवीएस से जुड़े टीचरों की बड़ी भूमिका रही है. ले‍किन गुरुवार को केवीएस के अ‍सिस्टेंट कमिश्नर फाइनेंस की ओर से मिले पत्र ने बड़ी संख्या में टीचरों का भी दिल तोड़ दिया है.
        इस पत्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के 22 अप्रैल के पत्र का हवाला दिया गया है. इस पत्र के मुताबिक केंद्रीय विद्यालय संगठन अभी एनपीएस ( नेशनल पेंशन ) धारकों की डेथ, रिटायरमेंट और प्रोविजनल फैमिली पेंशन की सुविधाएं रोक दी गई हैं. पत्र में कहा गया है कि सीसीएस (पेंशन)नियमावली 1972 के अनुसार अब अग्रिम आदेश तक केवीएस के एनपीएस धारकों को ये सभी लाभ नहीं दिए जाएंगे. केवीएस के इस फैसले से एनपीएस धारक शिक्षकों में रोष है. कई शिक्षकों ने इस निर्णय के बारे में सोशल मीडिया पर भी लिखा है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि अच्छा रिजल्ट देने का उन्हें यह रिजल्ट मिला है.
         केवीएस से जुड़े लोगों की मानें तो यहां बड़ी संख्या में 2004 के बाद वाले टीचर नेशनल पेंशन सिस्टम से जुड़े हैं, केवीएस प्रशासन के इस फैसले से इन टीचरों को काफी नुकसान होगा. वहीं केवीएस संगठन के ए‍डिशनल कमिश्नर यूएन खवाडे का कहना है कि यह फैसला मानव संसाधन मंत्रालय के दिशानिर्देश पर लिया गया है. केवीएस प्रशासन ने एमएचआरडी के पत्र को संज्ञान में लेते हुए इसका फैसला किया है.
केवी पीएसएस (केंद्रीय विद्यालय प्रगतिशील शिक्षक संघ) के नेशनल जनरल सेक्रेटरी प्रियव्रत छिकारा का कहना है कि हमारे 25 रीजन को 16 मई को भेजा गया था. पत्र में कहा गया कि जो कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम के अंतर्गत आते हैं, उन्हें हम रिटायरमेंट और डेथ ग्रेच्युटी का फायदा नहीं देंगे. इसका हम सीधा विरोध करते हैं. इस बार सीबीएसई के टीचरों ने सबसे अच्छा रिजल्ट दिया है. ये रिजल्ट देने वाले टीचर हैं जिनसे आप यह फायदा छीन ले रहे. टीचर छुटिटयों में भी कक्षाएं लेते हैं. इस तरह के तानाशाही फरमान का संगठन विरोध करता है. नई सरकार बनते ही हम उन्हें लिखकर मांग करेंगे कि यह सुविधा न ली जाए. साथ ही हमें बीते तीन-चार साल से दीवाली का बोनस मिलता है, वह भी देना शुरू किया जाए.
ये नहीं होंगे प्रभावित
         हालांकि, 2004 से पहले वाले शिक्षकों को ओल्ड पेंशन स्कीम मिलती है जो प्रभावित नहीं होंगे, कोई रिटायर होता या बीच में डेथ हो जाती है तो भी उनके परिवार को ग्रेच्युटी मिलेगी. आज तक  से साभार।

Tuesday 14 May 2019


इंटर कॉलेज जाखणीधार में इंस्पायर कार्यशाला का आयोजन कर बाल वैज्ञानिकों के अवार्ड नामांकन की दी गयी जानकारी.

     इंस्पायर अवार्ड मानक कार्यक्रम में बाल वैज्ञानिकों के विचारों और नवाचारों को ऑनलाइन नामांकित करने के उद्देश्य से राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार में इंस्पायर अवॉर्ड मानक ओरियंटेशन वर्कशॉप का आयोजन किया गया. इस अवसर पर विकासखंड के 20 इंटर कॉलेज व हाईस्कूलों के विज्ञान शिक्षकों द्वारा कार्यशाला में प्रतिभाग कर भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार नामांकन प्रक्रिया को समझा. खंड शिक्षा अधिकारी धनवीर सिंह ने विकासखंड के अंतर्गत समस्त शासकीय, अशासकीय और निजी विद्यालयों को इस योजना के अंतर्गत शत-प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य प्राप्त करने का आवाहन किया है.


        राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार  टिहरी गढ़वाल में इंस्पायर अवार्ड मानक कार्यक्रम के अंतर्गत विकासखंड स्तरीय ओरियंटेशन वर्कशॉप का आयोजन कर प्रोजेक्टर के माध्यम से कक्षा 6 से कक्षा 10 तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के मन में  वैज्ञानिक सोच विकसित करने के उद्देश्य से बाल वैज्ञानिकों के  नवाचारयुक्त विचारों को भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण और नामांकन की प्रक्रिया से प्रतिभागियों को अवगत कराया गया. इंस्पायर अवार्ड मानक कार्यक्रम के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर सुशील डोभाल द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से विकासखंड के समस्त विद्यालयों से आए प्रतिभागियों को भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के द्वारा संचालित इंस्पायर्ड अवार्ड मानक कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए  विद्यालयों के ऑनलाइन पंजीकरण व छात्रों के नामांकन की प्रक्रिया को प्रोजेक्टर द्वारा प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि मुख्य शिक्षा अधिकारी टिहरी श्री डीसी गॉड, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक श्री एस पी सेमवाल तथा जिला संयोजक इंस्पायर अवार्ड मानक श्री अलख नारायण दुबे द्वारा जनपद के समस्त विद्यालयों से मानकों के अनुसार नियत मात्रा में छात्रों के गुणवत्तायुक्त विचारों के नामांकन  निर्धारित मानकों के आधार पर करने की अपेक्षा की गई है.


     उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग द्वारा  कक्षा 6 से 10 तक अध्ययनरत सभी सरकारी अर्द्ध सरकारी और निजी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं में वैज्ञानिक एवं अनुसंधानात्मक सोच विकसित करने के लिए प्रतिवर्ष इंस्पायर अवॉर्ड कार्यक्रम के अंतर्गत बाल वैज्ञानिकों से नए अनुसंधान और नई खोजों के लिए विचार आमंत्रित किये जाते हैं. आमंत्रित विचारों का चयन होने पर लाभार्थी छात्रों को ₹10000 की अवार्ड राशि के साथ प्रमाण पत्र दिया जाता है और  ऐसे छात्रों को जनपद राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा को दिखाने के मौके मिलते हैं. इसी कार्यक्रम के अंतर्गत 1 अप्रैल से इंस्पायर अवार्ड मानक पोर्टल पर छात्रों के ऑनलाइन नामांकन किए जा रहे हैं. नामांकन की अंतिम तिथि ३१ जुलाई निर्धारित है.


 समस्त विद्यालयों तक कार्यक्रम की के लिए ब्लॉक स्तरीय कार्यशाला का आयोजन राजकीय इंटर कॉलेज जाखणीधार  टेहरी गढ़वाल में किया गया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए बतौर खंड शिक्षा अधिकारी के प्रतिनिधि राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री महावीर सिंह परमार ने कहा की गत वर्ष टिहरी जनपद में देशभर में सर्वाधिक नामांकन और छात्रों के चयन में दूसरा स्थान प्राप्त कर देश भर में अपनी नई पहचान बनाई है. उन्होंने विकासखंड जाखणीधार के समस्त शिक्षकों को इस कार्य को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देने का आवाहन किया. इस मौके पर राजकीय शिक्षक संघ के  ब्लाक अध्यक्ष दिनेश प्रसाद डंगवाल ने विकासखंड के अंतर्गत विभागीय प्रमुख उपलब्धियों से समस्त प्रतिभागियों को अवगत करवाया.


कार्यशाला में राजकीय इंटर कॉलेज मंदार से शिक्षक चंद्र सिंह, बड़कोट से एमएस कठैत, कनेलधार से अरविंद सिंह, गेंवली देवल से  श्रीमती शकुंतला कुमाई, कैंथोली से श्रीमती अंशु पवार, भरेटीधार से मंजू नेगी, कफलोग  से प्रीति चमोली, धारकोट से मनीष कुमार, वीरेंद्रकोट से ओपी बडोनी. थाल्काधार  से शिव चरण, टिपरी से अमित कुमार, कोपरधार से सचिंद्र सिंह, कपरेणीसैण से मुकेश कुमार, जाखणीधार से संजीव नेगी, पंकज डंगवाल, चन्दन सिंह असवाल, दिनेश रावत, सुनील बिष्ट, रणजीत पंवार, राधुधार से रविंद्र लसियाल, लामरीधार से वीरेंद्र असवाल, अंजणीसैण से राकेश नेगी और मदन नेगी से श्रीमती कांता भंडारी आदि  ने प्रतिभाग किया.




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