उत्तराखंड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षाफल 30 मई को घोषित होने जा रहा है। परीक्षार्थियों में परीक्षाफल का डर व दबाव कम करने के लिए आज राजकीय इंटर कालेज जाखणीधार टिहरी गढ़वाल में परीक्षार्थियों के लिए कॉन्सिलिंग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शिक्षकों द्वारा छात्रों को दबाव से मुक्त रहने के लिए अनेक उपयोगी सुझाव दिए।
कॉन्सिलिंग कार्यक्रम में प्रधानाचार्य श्री महावीर सिंह परमार ने कहा कि हर बार यह देखा जाता है परीक्षार्थी परीक्षाफल से निराश होकर मानसिक दबाव में कोई गलत कदम उठा लेते है. विद्यार्थी और अभिभावकों को चाहिए कि परीक्षाफल को लेकर अपने मन में किसी तरह का दबाव नहीं रखें. यह जरूरी नहीं की हर विद्यार्थी पढ़ाई में टॉपर हो. कई बार ऐसा देखा गया है परीक्षाओं में अच्छे अंक नहीं लाने वाले विद्यार्थी दूसरे क्षेत्रों में अपनी अच्छी पहचान बनाते हैं. इस मौके पर शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष श्री दिनेश प्रसाद डंगवाल ने कहा कि अभिभवकों को चाहिए कि परीक्षा के परिणाम आने के बाद बच्चों पर किसी तरह का प्रेशर नहीं बनाएं. हमेशा देखा जाता है कि कंपटीशन के युग में बच्चे पढ़ाई के दबाव में रहते हैं, अभिभावकों को चाहिए कि बच्चे के तनाव को कम करें. साथ ही बच्चे के दिलचस्पी को समझ उसे उस कार्य में ज्यादा प्रोत्साहित करें. इस मौके पर विद्यालय के शिक्षक दिनेश रावत, संजीव नेगी, पंकज डंगवाल तथा चंदन सिंह असवाल ने भी परीक्षार्थियों को अनेक उपयोगी सुझाव देते हुए परीक्षाफल के लिए शुभकामनाएं दी हैं।
सुशील डोभाल |
प्रिय विद्यार्थियों, आशा और निराशा जीवन के दो पहलू हैं। जिस तरह दिन के बाद रात आती है और रात के बाद दिन आता है उसी तरह जीवन में आशा और निराशा का खेल चलता रहता है। सफल होने पर हम सभी आशा से भर जाते हैं परंतु कभी कभी हमारी आशाओं के अनुरूप परिणाम न मिलने या असफलताएं मिलने पर व्यक्ति निराशा से भर जाता है। उसकी सोच भी नकारात्मक हो जाती है और धीरे-धीरे उसका मनोबल भी बैठ जाता है। इस लेख में आपको मै बताने जा रहा हूँ कि किस प्रकार किसी असफलता को सफलता में बदला जा सकता है।
पता करें आपकी निराशा का मुख्य कारण क्या है ?
हर निराश व्यक्ति को यह अवश्य पता करना चाहिए कि उसकी निराशा का मुख्य कारण क्या है। जीवन में व्यक्ति बहुत से अवसर पर निराश हो सकता है। एक परीक्षार्थी परीक्षा में असफल होने पर व एक पढ़ा लिखा व्यक्ति बेरोजगार होने पर निराश हो सकता है। एक दंपति संतान ना होने पर निराश हो सकता है। एक बिजनेसमैन व्यापार में नुकसान होने पर निराश (Disappoint) हो सकता है। एक नेता चुनाव हार कर निराश हो सकता है। इस तरह हर व्यक्ति के जीवन में कोई ना कोई निराशा का कारण स्वाभाविक है। पर इसका मुख्य कारण क्या है यह जानने का प्रयास करें। इस समस्या की जड़ तक पहुंचे और उसका निवारण करें।
1. धैर्य है सफलता की सबसे बड़ी कुंजी।
धैर्य एक ऐसा गुण है जिसे धारण करना बहुत ही आवश्यक है। किसी भी काम को सफलतापूर्वक करने के लिए धैर्य चाहिए। धैर्य धारण करते हुए हमारे क्रांतिकारियों ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाया। जिंदगी में हर परीक्षा धैर्य पर आधारित होती है। एक बालक वर्ष भर धैर्य रखकर पढ़ाई करता है और सफलता में उच्च अंको से उत्तीर्ण होता है। किसी भी काम को करने के लिए धैर्य जरूरी है। जरूरी नही की हर बार हमें सफलता ही मिले, असफलता मिलने पर उसे चुनौती के रूप में स्वीकार करें और धैर्यपूर्वक इस चुनौती का सामना करें। यदि आप थोड़ी असफलता देखकर पूरी तरह निराश हो गए हैं तो यह बिल्कुल भी सही नहीं है। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी धैर्य धारण किया। स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और शांति का मार्ग अपनाया और अंग्रेजों को देश से खदेड़ दिया।
2. आत्मविश्वास जरूरी है
2. आत्मविश्वास जरूरी है
स्वयं पर विश्वास होना बहुत जरूरी है क्योंकि जीवन में ऐसी बहुत सी कठिनाइयां होती हैं जब लोग आपका साथ नहीं देते हैं। ऐसे में यदि आप स्वयं अपने विचारों और मूल्यों का साथ नहीं देंगे तो आप असफल हो सकते हैं। विपरीत स्थिति होने पर व्यक्ति को स्वयं पर, अपने विचार और मूल्यों पर विश्वास रखना चाहिए। जो लोग आत्मविश्वास से भरे होते हैं वह बड़ी से बड़ी मुसीबत को झेल लेते हैं। अंत में उन्हें विजय प्राप्त होती है।
3. असफलता ही सफलता का मंत्र है।
3. असफलता ही सफलता का मंत्र है।
जो लोग जीवन में असफल होते हैं वे अपनी कमियों को जान पाते हैं और अगली बार वह सही रणनीति अपनाकर सफल होते हैं। इतिहास में ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते हैं कि बहुत से राजा अनेक युद्ध हार कर दूसरे युद्ध में विजयी हुए। असफलता सबसे बड़ा गुरु होती है। यह बताती है की आपकी तैयारी में कोई कमी रह गयी। उसे पूरा करें।
4. क्या आप सफलता के योग्य हैं खुद से पूछे
बहुत बार यह देखा जाता है कि अयोग्य या कम योग्यता वाले व्यक्ति बहुत ऊँची महत्वाकांक्षा मन में पाल लेते हैं। उदाहरण के लिए एक औसत छात्र यदि आईएस पीसीएस (IAS, PCS) या किसी उच्च बौद्धिक परीक्षा में सफल होने का सपना देखता है तो यह उद्देश्य तो सही है परंतु इस परीक्षा को पास करने की मानसिक योग्यता भी उस व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए। यदि आपने किसी गलत मकसद को चुन लिया है तो आप असफल होंगे और फिर आप निराशा के शिकार बन जायेंगे। इसलिए व्यक्ति को अपना लक्ष्य अपनी मानसिक योग्यता के अनुसार ही चुनना चाहिए।
5. निराशावादी मित्रों से बचे, आशावादी मित्र बनाइये
5. निराशावादी मित्रों से बचे, आशावादी मित्र बनाइये
किसी भी व्यक्ति के चारों ओर का वातावरण भी उसके व्यक्तित्व में बड़ा योगदान करता है। यदि आप ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जो सदैव निराशा की बात करते हैं तो धीरे-धीरे आप भी क्या सोचने लग जाएंगे कि आप जिंदगी में एक असफल और हारे हुए व्यक्ति हैं और सफल नहीं हो सकते। इस स्थिति में बेहतर होगा कि आप निराशावादी मित्रों से दूर रहें। ऐसे मित्र बनाएं जो आशा से भरे हुए हैं। जो सदैव सकारात्मक बात करते हैं। उस माहौल और वातावरण में आप अपनी मानसिक शक्तियों का भरपूर इस्तेमाल कर सकेंगे और सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
6. ईश्वर पर विश्वास रखें।
यदि आपने भरपूर प्रयास किया फिर भी आप असफल हुए तो आपको ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए। उसने आपके लिए कुछ दूसरी योजनाएं बनाई होगी। यह भी हो सकता है कि आपका भविष्य किसी और क्षेत्र में हो। किस्मत/ नियति ने कुछ और सोचा हो आपके लिए। इसलिए आपको ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए।
तो यह थे कुछ सुझाव जो आपको निराशा से बाहर निकलने में हमेशा मदद करेंगे। आपको अगर यह लेख पसंद आया हो तो नीचे कमेंट करे. आपका हर एक कमेंट मेरा उत्साह बढाता है। धन्यवाद।
बहुत सराहनीय कार्य...👍
ReplyDeleteवास्तव में आज के विद्यार्थियों को काउंसलिंग व मार्गदर्शन की बहुत अधिक आवश्यकता है, क्योंकि पूरा परिवेश भटकाने वाली सामग्री से अटा पड़ा है.
आपका संपादकीय भी उत्कृष्ट है, जो विद्यार्थियों को निराशा व हताशा से उबारने में कारगर सिद्ध हो सकता है..👍