Thursday, 2 May 2019

ट्रांसफर की सीमा केवल 10 फीसदी तय करने पर भड़के शिक्षक। तय सीमा बढ़ाने के साथ कॉन्सिलिंग से ट्रांसफर देने की करेंगे मांग।

   शिक्षा विभाग में ट्रांसफर की सीमा 10 फीसदी करने पर भड़के शिक्षकों ने इसे कई वर्षों से दुर्गम क्षेत्रो के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय करार दिया है। शिक्षकों ने यह सीमा बढ़ाने के साथ पूर्व की भांति काउंसिलिंग द्वारा पारदर्शी ढंग से स्थानांतरण करने की मांग उठाई है।
        राज्य में स्थानांतरण एक्ट-2017 के अनुसार इस वर्ष के लिए शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया शुरू हो गई। इससे वर्षों से दुर्गम में रह रहे शिक्षकों को सुगम में आने की उम्मीद थी, मगर शासन ने रिक्त पदों के सापेक्ष स्थानांतरण सीमा 10 फीसदी कर दी है। इससे शिक्षकों में आक्रोश फैल गया है।
          शिक्षकों का कहना है कि वे हमेशा स्थानांतरण एक्ट के पक्षधर रहै है। इससे हर शिक्षक को सुगम और दुर्गम में समान सेवा का मौका मिलता है। मगर शासन स्तर पर अचानक रिक्त पदों के सापेक्ष 10 फीसदी स्थानांतरण का निर्णय लिया गया है। इससे शिक्षकों में रोष है। यह दुर्गम के शिक्षकों के साथ अन्याय है। संघ ने इस सीमा को बढ़ाने की मांग की है, ताकि पर्वतीय दुर्गम क्षेत्रों में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों को भरा जा सके। ट्रांसफर के लिए विकल्प दिए जाने के स्थान पर काउंसिलिंग की व्यवस्था करने, अंतर मंडलीय ट्रांसफर शुरू करने, कोटिकरण सही करने की मांग भी की है।  

"तबादला कानून के अनुसार होने वाले कुल तबादलों के सापेक्ष मात्र दस प्रतिशत तबादलों का यह आदेश न सिर्फ निराशाजनक है अपितु दुर्भाग्यपूर्ण भी है I मेरी प्रांतीय कार्यकारिणी के सभी सदस्यों से इस बारे में बात हुई है I प्रांतीय महामंत्री विभागीय कार्य हेतु नयी दिल्ली गए हुए हैं ,जहाँ से वे ८ मई की शाम तक लौट पायेंगे I प्रांतीय अध्यक्ष एवं महामंत्री जल्दी ही इस विषय पर कार्यकारिणी की बैठक आहूत करने जा रहे हैं।"

मुकेश प्रसाद बहुगुणा, प्रांतीय उपाध्यक्ष राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड।


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